कर्तव्य बोध के साथ कर्तव्य पालन में भी रहें जागरूक : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

कर्तव्य बोध के साथ कर्तव्य पालन में भी रहें जागरूक : आचार्यश्री महाश्रमण

मलाड eqacbZ 20 जून 2023
महान परिवाज्रक आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ अणुव्रत यात्रा को मोड़ देते हुए आज पुनः मलाड पधारे। उपस्थित श्रावक समाज को मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए महायोगी ने फरमाया कि आदमी के जीवन में कर्तव्य बोध और कर्तव्य पालन का महत्वपूर्ण्ा स्थान होता है। जिसका जो कर्तव्य होता है, vxj वह उससेे च्युत gks जाता है, उसके प्रति लापरवाह रहता है, तो वह सामान्यतया अच्छी बात नहीं होती। कर्तव्य पालन के लिए पहले कर्तव्य का ज्ञान हो कि मेरा क्या कर्तव्य है। अच्छा काम करने वाला बड़ा हो सकता है। कई बार अपने दायरे को छोड़कर भी कार्य कर लेना चाहिये। राजनीति, परिवार, साधु समाज, शिक्षक या विद्यार्थी कोई भी हो सबका अपनाअपना कर्तव्य होता है। कर्तव्य बोध के साथ कर्तव्य पालन में जागरूक रहें।
प्रकृति से हमें चार नौकर दो हाथ और दो पैर मिले हुए हैं। इनका अच्छा उपयोग करें। दूसरों की अच्छी सेवा करे। दूसरों के दुःख में सहयोगी बनें। कर्र्तव्य तीन प्रकार के होते हैं। परिवार के प्रति, समाज के प्रति और राष्ट्र के प्रति कर्तव्य निभाना। आदमी को अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहते हुए उनकी अनुपालना का भी प्रयास करना चाहिये। प्रकृति, विकृति और संस्कृति ये तीन शब्द हैa। कर्तव्य का समानरूपेण पालन करना प्रकृति है। कर्तव्य से च्युत होना विकृति है और कर्तव्य से ऊपर दूसरों की सेवा करना संस्कृति है।
आदमी दूसरों से सेवा कम लेनी पड़े, ऐसा प्रयास करें। जीवन में परावलम्बी होना न पड़े, स्वावलम्बी बनें। आपस में कार्य का संविभाग हो सकता है। काम से जी नहीं चुराएं। मुनिअनेकांतकुमारजी, मुनि जागृतकुमारजी ने अपने दीक्षा दिवस पर पूज्यवर के श्रीचरणों में संस्कृत श्लोक प्रस्तुत किये। मुनि अनेकांतकुमारजी ने भी अपनी भावना अभिव्यक्त की। साधुसाध्वियों के दीक्षा दिवस पर उनको प्रेरणा प्रदान कराते हुए पूज्यवर ने फरमाया कि सभी धर्म की खूब साधना करने में आगे बढ़ते रहें।
साध्वी प्रमुखाश्रीजी ने फरमाया कि आत्मा की शक्ति तब जागृत होती है, जब हमें गुरु की शक्ति उपलब्ध होती है। गुरु की शक्ति को शब्दों में व्याख्यायित नहीं किया जा सकता है। सरस्वती भी गुरु के गुणों को लिखने में सफल नहीं हो पाती है। गुरु में ज्ञान, दर्शन, आचार और आनंद की शक्ति होती है। जिस शिष्य को ऐसे गुरु मिल जाते हैa, वह शिष्य तो धन्यधन्य हो जाता है।
पूज्यवर की सन्निधि में पहुंचकर पूर्व मंत्री व स्थानीय विधायक असलम शेख, नगर सेविका दक्षा पटेल, कथावाचक धीरेन्द्र याज्ञनिकजी ने दर्शन किये एवं अपनी भावना अभिव्यक्त की। पूज्यवर के स्वागत में स्थानीय तेरापंथी सभाध्यक्ष इंदरमल कच्छारा, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्षा, तेरापंथ युवक परिषद् अध्यक्ष मनोज लोढ़ा सहित कन्या मंडल एवं ज्ञानशाला की सुन्दर प्रस्तुतियां हुई। पूज्यवर के श्रीचरणों में पहुंचने वाली साध्वी कंचनकुमारीजी आदि साध्वीवृंद को दर्शन्ा के उपरान्त पूज्यवर ने vk'khokZn फरमाया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों को संकल्प स्वीकार करवाये। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया।