भक्तामर स्तोत्र अनुष्ठान का आयोजन

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भक्तामर स्तोत्र अनुष्ठान का आयोजन

पीतमपुरा, दिल्ली।
खिलौनी देवी धर्मशाला, पीतमपुरा के प्रांगण में शासनश्री साध्वी रतनश्री जी के सान्निध्य में 108 दंपति एवं कुल 254 भाई-बहनों ने भक्तामर स्तोत्र अनुष्ठान कया। कार्यक्रम में शासनश्री साध्वी रतनश्री जी ने कहा कि यह स्तोत्र जैन परंपरा में सर्वमान्य स्तोत्र है। श्वेतांबर और दिगंबर दोनों परंपराएँ श्रद्धा एवं भक्ति से प्रातःकाल के पुण्य समय में इसका स्मरण करते हैं। इसका एक-एक श्लोक मंत्र गर्भित है। शब्द संयोजना चामत्कारिक है। अनेक प्रकार के लाभ इसके द्वारा उपलब्ध होते हैं। बीदासर निवासी श्रावक चंपालाल का प्रसंग बताया।
शासनश्री साध्वी सुव्रतां जी ने कहा कि जहाँ जीवन वहाँ समस्याएँ, निश्चित आती है। शारीरिक, मानसिक, भूगोल-खगोल ग्रहकृत एवं परिस्थितिकृत पर हमारे दूरगामी चिंतन के धनि आचार्यों ने अनेकानेक स्तोत्र स्तव स्तुति मंत्रपरक दिए हैं। जिनके द्वारा प्रत्येक समस्या का सागर तिरा जा सकता है। उन स्तोत्रों में सर्वाधिक प्रभावशाली भक्तामर स्तोत्र है। जो आचार्य मानतुंग द्वारा विरचित है। जिनका शरीर लोहमयी सांकलों से बांध दिया गया था। वे स्तोत्र पाठ से तड़ातड़ टूट गई थी।
कार्यक्रम का शुभारंभ दिल्ली सभा के उपाध्यक्ष बिमल बैंगानी, पीतमपुरा सभा के अध्यक्ष प्रवीण बैंगानी एवं मंत्री सुरेंद्र मालू ने परमेष्ठि स्तवन से किया।
साध्वीवृंद ने गीत का सुमधुर स्वरों में संगान किया। साध्वी कार्तिकप्रभा जी, साध्वी चिंतनप्रभा जी ने समग्र भक्तामर का खड़े-खड़े सुस्वरों में समुच्चारण किया। साथ में सभी अनुष्ठानकर्ताओं ने अपने एक स्वर मिलाए। पीतमपुरा सभा की उपाध्यक्षा व कार्यक्रम संयोजिका मनफूल देवी बोथरा ने आभार एवं समागत भाई-बहनों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संयोजन पीतमपुरा सभा के मंत्री सुरेंद्र मालू ने किया।
शालीमार बाग, शास्त्रीनगर, मानसरोवर गार्डन, त्रिनगर, अरिहंत नगर, कीर्तिनगर, राजेंद्रनगर आदि कई क्षेत्रों के श्रावक-श्राविकाएँ इस अनुष्ठान में संभागी बने। दिल्ली महिला मंडल, तेयुप के सदस्यों की भी विशेष रूप से उपस्थिति रही।