
जीवन में ध्यान की स्थिरता लाना बेहद जरूरी
चंढ़ीगढ़।
जीवन में ध्यान की स्थिरता लाने में बहुत जरूरी है मन में स्थिरता को लाना। मन को पूरी तरह स्थिर बनाने के लिए जरूरी है कि हम अपने विचारों को अहमियत देना छोड़ दें। आप निश्चल होना तो चाहते हैं, लेकिन आप जिंदा हैं, इसलिए हमेशा हलचल में हैं, कुछ न कुछ हरकत कर रहे हैं। इस जीवन को एक खास स्तर तक की स्थिरता में लाने के लिए अपनी मानसिक गतिविधियों से खुद को पूरी तरह से अलग करना होता है। शारीरिक गतिविधि कोई समस्या नहीं है, उसे हम आसानी से स्थिर कर सकते हैं, यह मनोवैज्ञानिक ढाँचा ही है जो सक्रिय रहता है। यह शब्द मनीषी मुनि संत मुनि विनय कुमार जी ‘आलोक’ ने कहे।
मनीषी संत ने आगे कहा कि अगर आप नहीं जानते कि आत्मसमर्पण क्या होता है तो कम से कम आज्ञाकारी बन जाइए। बिना यह कदम उठाए मन को स्थिर करना कुछ ऐसा ही है, जैसे कोई पारे को पकड़ने की कोशिश कर रहा हो। केवल भौतिक शरीर ही सक्रिय होता है, क्योंकि स्थान या स्पेस तो अचल है, पूरी तरह से अचल और स्थिर। तीव्रता की चरम अवस्था स्थिरता ही है। अगर आप अपने भीतर इस स्थिरता का जरा भी अनुभव कर लेते हैं, तो अचानक आप पाएँगे कि आपका शरीर, मन, हरी चीज जबरदस्त उल्लास से उत्तेजित हो उठेगा। कुल मिलाकर जीवन बिलकुल अलग तरह का ही होगा।