मासखमण तप अभिनंदन समारोह
साउथ कोलकाता।
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में जुगराज बैद के मासखमण तप के उपलक्ष्य में मासखमण तप अभिनंदन समारोह का आयोजन तेरापंथी सभा द्वारा तेरापंथ भवन में आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि जैन साधना पद्धति में तपोयोग का महत्त्वपूर्ण स्थान है। तप वह अग्नि है जो कर्मरूपी कचरे को भस्म करने में समर्थ है। तप आंतरिक शुद्धि का उपक्रम है। तपस्या का धर्म पहला तथा आखिरी कदम है। तप से असंभव भी संभव बन जाता है।
तप मंगलकारी व कल्याणकारी होता है। तप से शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा निर्मल बनते हैं। तप में शंृगार, लेन-देन व आडंबर नहीं करना चाहिए। तप में स्वाध्याय, ब्रह्मचर्य की साधना व क्रोध विजय की साधना करनी चाहिए। जुगराज बैद ने मासखमण तप (31 दिनों का उपवास) तपा है। उनका मनोबल दृढ़ है। उनकी श्रद्धा-भक्ति विशेष है। जुगराज ने मासखमण तप कर चातुर्मास में मासखमण तप का श्रीगणेश किया है। ये साधुवाद के पात्र हैं। बैद परिवार तपस्या में अग्रिम क्रम में है।
इस अवसर पर मुनि परमानंद जी ने कहा कि चातुर्मास आराधना का महत्त्वपूर्ण घटक है-तप। जुगराज बैद ने मासखमण तप कर अद्भुत हिम्मत का परिचय दिया है। बालमुनि कुणाल कुमार जी ने गीत का संगान किया। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी द्वारा प्रदत्त संदेश का वाचन सभा के मंत्री कमल सेठिया ने किया। अभिनंदन पत्र का वाचन साउथ कोलकाता, तेरापंथी सभा के अध्यक्ष विनोद चोरड़िया ने करते हुए तप अनुमोदना में अपने विचार वयक्त किए। खींवकरण बैद ने तप अनुमोदना में अपने विचार व्यक्त किए। तथा बैद परिवार की बहनों द्वारा तप अनुमोदना गीत का संगान किया। सभा द्वारा संदेश पत्र, मोमेंटो व अभिनंदन पत्र के द्वारा तपस्वी जुगराज बैद व परिवार का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंद जी ने किया।