ज्ञानावरणीय कर्म बंध के कारणों को जानकर उनसे बचने का प्रयास करें: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

ज्ञानावरणीय कर्म बंध के कारणों को जानकर उनसे बचने का प्रयास करें: आचार्यश्री महाश्रमण

नंदनवन-मुंबई 26 जुलाई 2023
शान्तिदूत महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने आगम वाणी का रस्सावादन कराते हुए फरमाया कि भगवती सूत्र में आठवें शतक के नौंवे उद्देशक में कर्मवाद का सिद्धांत और 8 कर्म के बारे में बताया गया है। यहां प्रश्न रखा गया है कि ज्ञानावरणीय कर्म प्रयोग का बंध किस कर्म के उदय से होता है। उतर दिया गया- इसके सात कारण हैं- जैसे ज्ञान के प्रतिकूल आचरण, ज्ञान की अवहेलना, ज्ञानग्रहण में अंतराय देना, ज्ञान की अवज्ञा करना आदि कारणों से ज्ञानवरणीय कर्म का बंध होता हैं। भगवती सूत्र में वर्णित इन सातों कारणों को जानकर ज्ञानावरणीय कर्म बंध से बचने का प्रयास करना चाहिए। ज्ञान व ज्ञानी की अवहेलना न करें, उनका सम्मान करें। ज्ञान के प्रति विनय का भाव हो। ज्ञानदाता के प्रति विनय और सम्मान का भाव हो। ज्ञान व ज्ञानदाता के प्रति प्रमोद भावना रखंे। ज्ञान प्राप्ति मंे सहयोग देवें। यह सब करने से ज्ञानावरणीय कर्म की निर्जरा हो सकेगी, हमारा ज्ञान बढ़ सकेगा। लाभ, बुद्धि, भोग बुरा नहीं होता। इनके उपयोग में असंयम और दुरूपयोग करना बुरा होता है। बुद्धि तो अपने आप में क्षयोपशम भाव है।
जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा द्वारा ज्ञानशाला के माध्यम से एवं जैन विश्व भारती संस्थान के द्वारा ज्ञान के क्षेत्र में विकास का प्रयास किया जाता है। जैन विश्व भारती इंस्टीट्यूट से अनेक चारित्रात्माएं बीए, एमए, पीएचडी आदि अध्ययन कर रही है। समणियां तो वहां समुन्द्र मंे ही बैठी है। साध्वी प्रमुखाश्रीजी, साध्वीवर्याजी एवं मुख्य मुनि ने भी वहां से स्नाकोत्तर डिग्रीयां हासिल की है। आज अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल द्वारा श्रुतोत्सव आयोजित है। यह भी ज्ञान के विकास में सहयोग का माध्यम है। इस उपक्रम से अनेक भाई-बहिनें ज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। कुछ साध्वियां भी इस उपक्रम से जुड़ी है। जैन विश्व भारती आगम मंथन प्रतियोगिता से एवं समण संस्कृति संकाय से ज्ञान बढ़ाने में सहायक बन रही है। इस प्रकार अनेक माध्यमों से ज्ञान के विकास के प्रयास करना चाहिये।
पूज्यवर ने अभातेममं के श्रुतोत्सव के बारे में आशीर्वचन प्रदान कराते हुए फरमाया कि पिछले वर्षों से अभातेममं द्वारा ज्ञानाराधना का कोर्स चलाया जा रहा है। यह श्रुत की आराधना का अच्छा उपक्रम है। अध्ययन करने वालों में ज्ञान का अच्छा विकास हो सकता है। यह उपक्रम अच्छी तरह चलता रहे। सरदारशहर का गोठी परिवार ज्ञान के विकास से अच्छा जुड़ा रहा है। महिला मंडल अच्छा कार्य करती रहे। डिग्री घारक अपनेे ज्ञान का उपयोग दूसरों को भी पढ़ाने में करते रहंे।
कालूयशोविलास का आस्वादन कराते हुए पूज्यवर ने पूज्य कालूगणी के साथ उदयपुर के महाराजा के मिलन से उदयपुर में हुई प्रतिक्रियाओं के प्रसंग को समझाया।
तपस्या के प्रत्याख्यान
पूज्यवर ने ईशा बोरदिया को 32, सज्जन चपलोत को 26, अनिता ओस्तवाल को 11, मुकेश चोरड़िया, नीतू सिसोदिया व गोमती मेहता को 9, जैनम गादिया, कांता देवी कोठारी, रीतू मेहता, वीर कटारिया, पूजा कटारिया को 8 की तपस्या के प्रत्याख्यान करवाये।
अभातेममं की राष्ट्रीय अध्यक्षा नीलम सेठिया ने श्रुतोत्सव एवं इसके महत्व के बारे में जानकारी दी। इस पाठ्यक्रम के संपोषक सुमतिचंद गोठी ने नये पाठ्यक्रम की फाइल पूज्यवर को निवेदित की।
दिवगंत मुनि शांतिप्रियजी की स्मृतिसभा आयोजित
पूज्यवर ने मुनि शांतिप्रियजी के जीवन की संक्षिप्त जानकारी प्रदान करवाते हुए फरमाया कि उनको 27 मई 2023 को संथारे का प्रत्याख्यान करवाया गया था। अंतिम समय में चौविहार संथारा करवाया गया था। 56 दिन का लगभग संथारा आया था। 21 जुलाई को संथारा सीज गया था। पहले उपासक भी थे। पूज्यवर ने दिवंगत मुनिश्री के प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना कराते हुए मध्यस्थ भावना के रूप में चार लोगस्स का ध्यान करवाया।
साध्वी प्रमुखाश्रीजी, मुख्य मुनिश्री ने दिवंगत आत्मा के आध्यात्मिक ऊर्ध्वारोहण की मंगलकामना अभिव्यक्त की। मुनि अक्षय प्रकाशजी, मुनि कोमलकुमारजी, मुनि मृदकुमारजी, मुनि ध्रुवकुमारजी एवं मुनि गौरवकुमारजी ने भी दिवंगत मुनिश्री की आत्मा के प्रति अपनी मंगल मंगलभावना अर्पित की।
मुनि शांतिप्रियजी के संसारपक्षीय पुत्र उपासक विनोद बोरदिया, रतनलाल मेहता, समणी निर्मलप्रज्ञाजी ने भी आध्यात्मिक मंगलकामना व्यक्त की।