अवबोध

स्वाध्याय

अवबोध

कर्म बोध
अवस्था व समवाय
 
प्रश्न 5 : कर्म बंध के चार प्रकारों का क्रम क्या है?
उत्तर : चार ही बंध युगपत् प्रारंभ होते हैं। जीव कोई भी शुभाशुभ प्रवृत्ति करता है, तो उसके ये चारों बंध एक साथ शुरू होते हैं। इसको एक दृष्टांत के द्वारा सम्यक् रूप से समझा जा सकता है। डॉक्टर रोगी के इंजेक्शन लगाता है, तो चार कार्य एक साथ फलित होने प्रारंभ हो जाते हैं। उन फलितों के साथ इन चार बंध की तुलना की जा सकती है-
 
(1) प्रकृति बंध - इंजेक्शन का स्वभाव गर्म है या ठंडा, कठोर है या सरल
(2) स्थिति बंध - इंजेक्शन का अमुक समय तक असर
(3) अनुभाग बंध - इंजेक्शन के कार्य करने की शक्ति
(4) प्रदेश बंध - इंजेक्शन का पूरे शरीर में खून में मिल जाना।
 
प्रश्न 6 : उद्वर्तन किसे कहते हैं?
उत्तर : स्थिति बंध व अनुभाग बंध के बढ़ने को उद्वर्तन कहते हैं।
 
(क्रमश:)