बारह व्रत कार्यशालाओं के विविध आयोजन

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बारह व्रत कार्यशालाओं के विविध आयोजन

विजयनगर, बेंगलुरु
तेरापंथ भवन में मुनि दीप कुमार जी के सान्निध्य में त्रिदिवसीय ‘बारह व्रत स्वीकरण कार्यशाला’ का तेयुप विजयनगर, बैंगलुरु द्वारा शुभारंभ हुआ। मुनि दीप कुमार जी ने कहा कि बारह व्रत अहिंसक समाज की संरचना का विस्तृत प्रारूप है। इसे शोषण मुक्त स्वस्थ समाज रचना की आचार संहिता भी कहा जा सकता है। गृहस्थ के लिए संपूर्ण हिंसा का परिहार संभव नहीं है। उसके अनावश्यक हिंसा को छोड़ना ही अहिंसक समाज की संरचना में योगभूत बनना है। जीवन को प्रायोगिक बनाने की एक प्रक्रिया हैµप्रत्याख्यान। इस विषय में भगवान महावीर ने श्रावक के लिए बारह व्रतों की व्यवस्था दी। प्रत्याख्यान के द्वारा जीवन को कैसे बदला जा सकता है? इसका निदर्शन है। भगवान महावीर के बारह व्रतधारी श्रावक हैं।
मुनिश्री ने आगे कहा कि दो शब्द हैंµश्रावक और अनुयायी। सामान्यतः इन्हें एकार्थक माना जाता है, पर इसमें बड़ा अंतर है। अनुयायी का अर्थ होता हैµपीछे चलने वाला और श्रावक का अर्थ हैµव्रत ग्रहण करने वाला। मुनिश्री ने विस्तार से अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य अणुव्रत के बारे में समझाया। मुनि काव्य कुमार जी ने सम्यक्त्व के लक्षणों की चर्चा की। तेयुप के अध्यक्ष राकेश पोखरणा ने बारह व्रत कार्यशाला की जानकारी देते हुए व्रत दीक्षा पुस्तिका के बारे में बताया।