बारह व्रत कार्यशालाओं के विविध आयोजन
उधना
तेरापंथ भवन उधना में बहुश्रुत मुनि उदितकुमारजी के सान्निध्य में अर्जुन धूपिया और केसर देवी गन्ना ने मासखमण (31 दिन) की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। मुनि उदितकुमारजी ने अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में त्याग और तपस्या का महत्व बताते हुए कहा-‘भगवान महावीर ने मोक्ष के जो चार साधन बताएं हैं, उनमें एक है तप। पूर्वार्जित कर्मों को क्षय करने का यह सशक्त उपाय है परंतु इसे करना उतना आसान नहीं। तपस्या करने के लिए उच्च मनोबल की आवश्यकता होती है। एक उपवास भी जहां कईयों के लिए विशेष चिंतनीय बिंदु बन जाता है, वहां इतनी प्रलंब तपस्या बड़ी सहजता के साथ परिसंपन्न कर लेना, यह क्षयोपशम भाव तथा संकल्प बल से ही संभव है।’ मुनिश्री ने तपस्वी भाई बहनों के तप की अनुमोदना करते हुए तपस्वियों को साधुवाद दिया।
मुनि अनंतकुमारजी ने भी अपने उद्गार प्रकट किए। तपस्वियों की अनुमोदना में सभी तपस्वियांे के पारिवारिक-ज्ञातिजनों द्वारा गीत का संगान किया गया। तपस्वी अर्जुन धूपिया एवं तपस्विनी केसर देवी गन्ना के तप के उपलक्ष में साध्वी प्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी द्वारा प्रदत्त संदेश का वाचन कर सभा अध्यक्ष बसंतीलाल नाहर ने मंगल कामना अभिव्यक्त की। संपत आंचलिया, मुकेश बाबेल, विनोद भटेवरा, कोमल भलावत ने भी तपस्वियों के प्रति अनुमोदना के भाव व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन सभा मंत्री सुरेश चपलोत ने किया। इस अवसर पर नेहा श्यामसुखा एवं सुश्री परी बेगवानी ने भी क्रमशः 15 एवं 8 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। कार्यक्रम में उल्लेखनीय उपस्थिति रही।