अवबोध

स्वाध्याय

अवबोध

कर्म बोध
अवस्था व समवाय

प्रश्न 13 ः क्या उदय के बिना बंधे हुए कर्म फल देते हैं?

उत्तर ः उदय के बिना बंधे हुए कर्म फल नहीं दे सकते। फल देने की अवस्था मात्र उदयकाल ही है। उसी समय वे जीव को सुख-दुःख का अनुभव करवाते हैं।

प्रश्न 14 ः क्या कर्मफल व ग्रहफल एक हैं?

उत्तर ः कर्मफल स्वकृत कर्मों का फल है। ग्रहफल जीवन में होने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं की भविष्यवाणी करने व कर्मों के प्रदेशोदय, विपाकोदय में माध्यम बनते हैं। ग्रहफल ज्योतिष-शास्त्र का विषय है। जैन मतानुसार शुभ-अशुभ घटनाएँ कर्मजन्य हैं। ग्रह उनकी अवगति में सहायक बनते हैं और कर्मफल के विपाकोदय की भूमिका निर्मित करते हैं।

प्रश्न 15 ः उदीरणा किसे कहते हैं?

उत्तर ः उदय में आने वाले कर्म दलिकों (समूह) को निर्धारित अवधि से पूर्व प्रयत्न विशेष से पहले उदय में लाने को उदीरणा से पूर्व अपवर्तन जरूरी होता है। कर्मों की स्थिति कम होने से वे शीघ्र उदय प्राप्त दलिकों के साथ भोग लिए जाते हैं।
(क्रमशः)