अवबोध

स्वाध्याय

अवबोध

कर्म बोध
अवस्था व समवाय

प्रश्न 16 : अबाधाकाल किसे कहते हैं?

उत्तर : जो कर्म प्रकृति जितने काल की बंधी हुई है, उसके एक निश्चित कालमान तक उदय में न आने को अबाधाकाल कहते हैं। जैसेµकोई कर्म प्रकृति एक करोड़ाकरोड़ सागर की स्थिति वाली बंधी है, तो उसका अबाधाकाल सौ वर्ष होगा।

प्रश्न 17 : अबाधाकाल व सत्ता में क्या अंतर है?

उत्तर : अबाधाकाल व सत्ता के अंतर को एक उपनय से भली-भाँति समझा जा सकता है। एक कुंड (हौद) पानी से लबालब भरा है। उसमें से पानी निकालने के लिए मशीन लगा दी। पानी कुंड से निकलना शुरू हो गया और वह चौबीस घंटे में खाली हो गया। पानी निकलने के पहले क्षण से ही अबाधाकाल संपन्न हो गया। इसी तरह कर्म प्रकृति के उदय के प्रथम समय में ही अबाधाकाल पूरा हो जाता है। उस कुंड से पानी एक साथ नहीं निकालता, पर निकलना शुरू हो गया। जब तक पानी की अंतिम बूँद अंदर है, तब तक वह सत्ता रूप है। कर्म प्रकृति का उदय शुरू हो गया और वह एक हजार वर्ष तक चलने वाला है। उस प्रकृति की हजार वर्ष तक सत्ता रहेगी। (क्रमश:)