नमस्कार महामंत्रा के जप की साधना चलती रहे : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

नमस्कार महामंत्रा के जप की साधना चलती रहे : आचार्यश्री महाश्रमण

17 सितम्बर 2023 नन्दनवन, मुम्बई
पर्युषण महापर्व के छठे दिवस पर मंत्र प्रदाता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने भगवान महावीर की अध्यात्म यात्रा के अंतर्गत उनके अठारहवें भव में पोतनपुर के राजा प्रजापति के पुत्र वासुदेव त्रिपृष्ठ के भव विवेचन कराते हुए फरमाया कि प्रति वासुदेव अश्वग्रीव अपना भविष्य जानने के लिए ज्योतिष को बुलाता है। ज्योतिष के द्वारा बताया गया कि वह आपके दूत का अपमान करेगा और शेर के आतंक को समाप्त कर देगा। इसके बाद सतर्क होकर अश्वग्रीव अपने दूत चण्डवेग को अन्य राजाओं को अपना संदेश देने के लिए भेजता है। दूत यात्रा करते-करते जब पोतनपुर पहुंचता है तो वहां संगीत का कार्यक्रम चल रहा होता है। कार्यक्रम के मध्य दूत को देखकर त्रिपृष्ठ नाराज हो जाता है और दूत का अपमान करता है। दूत वापस आकर अश्वग्रीव को संवाद बताता है। वह दूत विशेष योग्य होता है जो मौका देखकर बात करता है। दूत वाक्पटु होना चाहिये। अश्वग्रीव को ज्योतिष द्वारा की गई भविष्यवाणी सही होने के संकेत नजर आते हैं। कुछ समय बाद अश्वग्रीव के क्षेत्र में शेर का आतंक होता है। राजा का काम होता है प्रजा की रक्षा करना। वह ग्रामीणों की सुरक्षा के लिये सभी राजाओं की बारी लगाता है। इस क्रम में पोतनपुर के राजा प्रजापति की बारी आती है। राजा के पुत्र त्रिपृष्ठ अपने पिता के स्थान पर स्वयं ग्रामीणों की सुरक्षा के लिये जाते हैं। रथ और शस्त्र को छोड़कर त्रिपृष्ठ निहत्थे शेर से लड़ते हैं और शेर को मार डालते हैं। यह समाचार प्राप्त कर अश्वग्रीव त्रिपृष्ठ को समाप्त करने की योजना बनाता है। अंततः अश्वग्रीव और त्रिपृष्ठ के बीच युद्ध होता है। त्रिपृष्ठ अश्वग्रीव का वध कर वासुदेव बन जाते हैं। हथियार उठाना मजबूरी की बात हो सकती है पर हमारे जीवन में प्राणी मात्र के प्रति मैत्री भाव रहना चाहिये, अहिंसा का भाव रहना चाहिये।
जप दिवस पर श्रद्धालुओं को उद्बोधन प्रदान करते हुए पूज्यवर ने फरमाया कि आज जप दिवस है। सभी को नमस्कार महामंत्र की एक माला प्रतिदिन फेरने का प्रयास करना चाहिए। जितना संभव हो, नमस्कार महामंत्र आदि के जप में समय लगाने का प्रयास करें तो अच्छा काम हो सकता है। संवत्सरी के संदर्भ में प्रेरणा प्रदान कराते हुए आचार्य प्रवर ने फरमाया कि परसों संवत्सरी है। सभी को परिवार में छोटे, युवा, बच्चों को संवत्सरी के उपवास की प्रेरणा देनी चाहिये। उपवास के साथ पौषध भी किया जा सकता है। पूज्यवर ने पौषध की विधि व नियमों की जानकारी फरमायी।
साध्वी प्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी, मुख्य मुनिश्री महावीरकुमारजी, साध्वीवर्या सम्बुद्धयशाजी ने जप दिवस पर प्रेरणाएं प्रदान करवायी। मुनि रजनीशकुमारजी एवं मुनि पारसकुमारजी ने अपने भाव व्यक्त किए। साध्वी वैभवप्रभाजी ने जप दिवस के संदर्भ में गीत का संगान किया। पूज्यवर ने तपस्वियों को उनकी धारणा के अनुसार तपस्या के प्रत्याख्यान करवाए। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमारजी ने किया।