पर्युषण पर्वाराधना का कार्यक्रम

संस्थाएं

पर्युषण पर्वाराधना का कार्यक्रम

काकीनाड़ा
परमाराध्य आचार्य प्रवर की महती कृपा से काकीनाड़ा क्षेत्र में नवाह्निक पर्युषण आराधना हेतु उपासिकाद्वय सरोज सुराणा एवं रीता सुराणा का आगमन हुआ। पर्युषण पर्व का नवाह्निक आराधना कार्यक्रम व्यवस्थित एवं सुचारू रूप से चला एवं सभी श्रावक-श्राविकाओं के लिए उपयोगी एवं उत्साहवर्धक रहा। उपासिका द्वय ने अपने समय का समुचित नियोजन एवं प्रतिदिन के कार्यों का व्यवस्थित निर्धारण कर आठ दिनों की पर्युषण आराधना को सफल बनाया। विशेषकर संवत्सरी के दिन प्रातः 9ः00 से दोपहर 1ः30 बजे तक कार्यक्रम चला, जिसमें समाज के बच्चे, युवक, महिलाएं, बुजुर्ग आदि कार्यक्रम के अंत तक उपस्थित रहे। ज्ञानशाला के ज्ञानाथियों एवं तेरापंथ कन्या मंडल की कन्याओं द्वारा शिक्षाप्रद कार्यक्रमों का मंचन व तेरापंथी सभा एवं तेरापंथ महिला मंडल सदस्यों द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दी गई। क्षमापना दिवस पर काकीनाड़ा का पूरा समाज उपस्थित रहा व सामूहिक खमत-खमणा का कार्यक्रम उपासिकाद्वय की समुपस्थिति में संपन्न हुआ।
उपासिकाद्वय द्वारा प्रतिदिन प्रातः वंदना के पश्चात मुख्य उद्बोधन का कार्यक्रम प्रातः 8ः30 से प्रातः 9ः30 बजे तक चला, जिसमें निर्धारित आठों दिवसों पर प्रेरणा के साथ-साथ श्रमण महावीर के सभी भवों का विस्तार से विवेचन किया गया। तेरापंथ धर्मसंघ के यशस्वी आचार्यों की जीवन झांकी प्रस्तुत की गई। सायंकाल प्रतिक्रमण एवं तत्व परिचर्चा एवं रात्रिकालीन कार्यक्रम में अर्हत वंदना के पश्चात तत्व चर्चा, ज्ञानवर्धक प्रश्नोत्तरी, ज्ञानवर्धक प्रतियोगिता आदि उपयोगी कार्यक्रम रखे गये। उपासिका द्वय ने अपने अनुभव का उपयोग करते हुए धार्मिक चेतना एवं जागरूकता के लिए श्रम का नियोजन किया। श्रावक-श्राविकाओं में तत्व चर्चा का कार्यक्रम आकर्षित व उपयोगी रहा। समय की उपलब्धता के अनुसार धार्मिक परिचर्चा भी रखी गई। परिवारों की सार-संभाल उपक्रम भी साथ साथ चलता रहा। एक दिन में दो परिवारों की सार-संभाल का लक्ष्य रखा गया। वर्तमान में यहां श्रद्धा के चौदह परिवार प्रवासित हैं, सभी परिवारों की सार-संभाल का उपक्रम व्यवस्थित रहा। श्रावक समाज के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के अवलोकन में सभी को छोटे-छोटे संकल्प दिलवाए गये व जीवन में प्रतिदिन कुछ ना कुछ संयम करने की प्रेरणा दी गई। उपासिकाद्वय की प्रेरणा से पर्युषण काल के दौरान कतिपय तपस्याएं भी हुई। सभी श्रावक-श्राविकाओं ने कार्यक्रमों में समय पर उपस्थित होकर लाभ लेने का प्रयास किया।