राग से विराग की ओर बढ़ने का पर्व है पर्युषण

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राग से विराग की ओर बढ़ने का पर्व है पर्युषण

पचपदरा
शासनश्री साध्वी सत्यवतीजी के सान्निध्य में तेरापंथी सभा पचपदरा के तत्वावधान में पर्युषण पर्व का नवान्हिक कार्यक्रम अध्यात्ममय वातावरण में मनाया गया। आत्मा से परमात्मा बनने, राग से विराग की ओर बढ़ने, अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का पर्व पर्युषण है। पर्युषण पर्व का प्रथम दिवस खाद्य संयम दिवस के रूप में मनाया गया, जिसमें साध्वी शशिप्रज्ञाजी ने बताया कि हम खाने में विरोधी पदार्थों के प्रयोग का निषेध कर स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। साध्वी संकल्पप्रभाजी ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। शासनश्री साध्वी सत्यवतीजी ने पर्युषण पर्व की महत्ता बताते हुए कहा कि पर्युषण पर्व के आठ दिनों में विशेष रूप से धर्माराधना करनी चाहिए। कार्यक्रम का संचालन रूपेन्द्र ढे़लड़िया ने किया।
पर्युषण पर्व के द्वितीय दिवस पर साध्वी पुण्यदर्शनाजी ने कहा कि स्वाध्याय के द्वारा हम करणीय व अकरणीय का स्पष्ट ज्ञान करके जीवन को सही दिशा में नियोजित कर सकते हैं। स्वाध्याय कब व कैसे करना चाहिए, इसका बोध साध्वी शशिप्रभाजी ने करवाया। शासनश्री साध्वी सत्यवतीजी ने कहा कि निर्जरा के बारह प्रकार में से स्वाध्याय एक तप है, जिसके द्वारा कर्मों की निर्जरा होती है। मंगलाचरण तेरापंथ महिला मंडल की बहिनों ने एवं कार्यक्रम का संचालन कीर्ति चौपड़ा ने किया।
तृतीय दिवस पर सामायिक दिवस के बारे में बताते हुए साध्वी शशिप्रज्ञाजी ने सामायिक कैसे करंे व समता का विकास कैसे करें, इसके बारे में प्रेरणा दी। शासनश्री साध्वी सत्यवतीजी ने हाजरी का वाचन किया व भगवान महावीर के भवों के बारे में बताया। कार्यक्रम का संचालन खुशबू पारख ने किया।
चतुर्थ दिवस वाणी संयम दिवस पर साध्वीवृंद ने सामूहिक गीतिका के माध्यम से वाणी का संयम रखने की प्रेरणा दी। शासनश्री साध्वी सत्यवतीजी ने अनावश्यक बोलने से बचने की प्रेरणा दी एवं मौन के महत्व के बारे में बताया।
पंचम् दिवस अणुव्रत चेतना दिवस पर साध्वी पुण्यदर्शनाजी व साध्वी रोशनीप्रभाजी ने अणुव्रत की आचार-संहिता के बारे में बताया। शासनश्री साध्वी सत्यवतीजी ने छोटे-छोटे व्रतों को जीवन में धारण कर संयम की प्रेरणा दी।
पर्युषण के षष्टम् दिवस जप दिवस पर साध्वी रोशनीप्रभाजी ने जप की महिमा बताई। साध्वी जयंतमालाजी ने जप के द्वारा ‘अर्हत् बनें’ विषय पर प्रस्तुति दी। शासनश्री साध्वी सत्यवतीजी ने विभिन्न मंत्रों का महत्व एवं उनके निरंतर जप के लाभ के बारे में बताया।
ध्यान दिवस पर साध्वी जयंतमालाजी ने गीतिका प्रस्तुत की। साध्वी शशिप्रज्ञाजी ने भाव क्रिया के बारे में बताया। शासनश्री साध्वी सत्यवतीजी ने ध्यान के महत्व को बताते हुए प्रेक्षाध्यान के बारे में विशद जानकारी प्रदान की।
संवत्सरी महापर्व पर साध्वी जयंतमालाजी की गीतिका से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। साध्वी रोशनीप्रभाजी ने दुखों के कारण बताए। साध्वी शशिप्रज्ञाजी ने भगवान ऋषभ की वंशावली प्रस्तुत की। साध्वी शशिप्रभाजी ने आरे के प्रभाव के बारे में बताया। साध्वी संकल्पप्रभाजी ने आचार्यों व साध्वी प्रमुखाओं के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला। शासनश्री साध्वी सत्यवतीजी ने चंदनबाला की भक्ति के बारे में बताते हुए संवत्सरी महापर्व के महत्व को व्याख्यायित किया।
क्षमापना दिवस कार्यक्रम का संचालन जिनेश चौपड़ा ने किया। सभी संस्थाओं के पदाधिकारियों ने गुरुदेव, साध्वीश्रीजी एवं पूरे श्रावक समाज से खमत-खामणा किया। शासनश्री साध्वी सत्यवतीजी ने क्षमापना दिवस पर सभी को अपने मन की गांठें खोलकर एकदूसरे से सरल हृदय से खमत-खामणा कर अपने आपको हल्का बनाने की प्रेरणा दी। सभी ने परस्पर खमत-खामणा किए।