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स्वप्न दर्शन से आदमी आर्तध्यान में न जाये : आचार्यश्री महाश्रमण
22 सितम्बर 2023 नन्दनवन, मुम्बई
महामनीषी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मंगल देशना प्रदान कराते हुए फरमाया कि भगवती सूत्र के सोलहवें शतक के छठे उद्देशक में बताया गया है कि आदमी सोता है, नींद लेता है, कई बार स्वप्न भी आते हैं। प्रश्न किया गया है कि भंते! जीव स्वप्न सुप्त अवस्था में देखता है, जागृत अवस्था में देखता है या सुप्त- जागृत अवस्था में देखता है? उत्तर दिया गया गौतम! सुप्त अवस्था में स्वप्न नहीं देखा जा सकता और जागृत अवस्था में भी स्वप्न नहीं देखा जा सकता। मध्यम अवस्था सुप्त-जागृत अवस्था में जीव को स्वप्न का दर्शन हो सकता है। आदमी पूरी तरह जगा हो अथवा गाढ़ी निद्रा में हो तो स्वप्न नहीं देख सकता।
प्रश्न किया गया स्वप्न दर्शन कितने प्रकार का होता है? स्वप्न दर्शन पांच प्रकार का होता है- 1 यथातथ्य, 2 प्रतान, 3 चिन्ता, 4 तद्विपरीत, 5 अव्यक्त दर्शन। यथातथ्य कोटि का जो स्वप्न होता है, वह यथार्थ होता है, उसका फल मिल सकता है। प्रतान में आदमी विस्तार से स्वप्न देखता है। चिन्ता स्वप्न में जागृत अवस्था में जो विचार किया, सुन लिया, देख लिया, पढ़ लिया, वे बाते स्वप्न में दिखने लगती है। तद्-विपरीत में जो स्वप्न में देखता है, उसका उल्टा फल मिलेगा। अव्यक्त दर्शन अस्पष्ट सा होता है, पूरा साफ नहीं दिखाई देता है। इसके अतिरिक्त और भी अनेक स्वप्न के प्रकार हो सकते हैं, अनेक दृश्य हो सकते हैं।
सारे स्वप्न सही होंगे, यह जरूरी नहीं है। स्वप्न तो निद्रा से जुड़ी बात है। ज्यादा स्वप्न परेशान करे तो सात लोगस्स का पाठ कर लें। स्वप्न आधार ले लें। स्वप्न से डरकर जाग गये तो भी उस समय भी लोगस्स का पाठ कर लें। स्वप्न को ज्यादा महत्व न दें। समता और शान्ति का प्रयोग करना चाहिये। स्वप्न दर्शन हमारे जीवन के साथ जुड़ा हुआ है। पित्त-विकार से भी स्वप्न आ सकते हैं। नवकार मंत्र का पाठ कर सकते हैं। स्वप्न दर्शन से आदमी आर्तध्यान में न जाये, धार्मिक आराधना करे, जिससे आत्मा का कल्याण भी हो सकता है।
अभातेयुप के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज डागा ने अभातेयुप द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कार/अलंकरणों की घोषणा की। उन्होंने वर्ष 2023 के युवा गौरव अलंकरण हेतु अभातेयुप कोषाध्यक्ष चेन्नई प्रवासी भरत मरलेचा, वर्ष 2023 के आचार्य महाप्रज्ञ प्रतिभा पुरस्कार हेतु लाडनूं निवासी अमेरिका प्रवासी अजय भूतोड़िया एवं वर्ष 2023 के आचार्य महाश्रमण युवा व्यक्तित्व पुरस्कार हेतु अहमदाबाद प्रवासी डॉ0 धवल दोशी के नाम की घोषणा की।
पूज्यवर से तपस्वियों ने अपने धारणानुसार तपस्या के प्रत्याख्यान ग्रहण किये। चेम्बूर के आमदार प्रकाश वैकुंठ फातर्पेकर ने अपनी भावना अभिव्यक्ति की।
कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमारजी ने किया।