खमत-खामणा विद्वेष की ग्रन्थि को खोलने का प्रयास है: आचार्यश्री महाश्रमण
20 सितम्बर 2023 नन्दनवन, मुम्बई
क्षमा की प्रतिमूर्ति करूणा के महासागर परम् पावन आचार्यश्री महाश्रमणजी ने क्षमापना दिवस पर प्रातः वृहद् मंगलपाठ के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। परम् प्रभु श्रमण महावीर एवं तेरापंथ के आद्यप्रवर्तक व उत्तरवर्ती आचार्य परम्परा को वन्दन करते हुए आचार्यवर ने फरमाया कि आगम वाणी में कहा गया है- क्षमा वीरस्य भूषणम्। क्षमा वीरों का भूषण है। वर्ष भर में किसी भी जीव के साथ कलुष व्यवहार हो गया हो तो संवत्सरी प्रतिक्रमण कर सभी से सरल हृदय से खमत-खामणा कर लेना चाहिये। आगम वाणी में कहा गया है कि जीव क्षमापना से क्या प्राप्त करता है? उत्तर दिया गया कि क्षमापना से आह्लाद भाव को जीव पैदा करता है। किसी के साथ कटु व्यवहार हो गया हो तो अंतर्मन से क्षमापना हो जाये। आह्लाद भाव को प्राप्त हुआ जीव सभी के साथ मैत्री भाव को उत्पन्न कर लेता है। उससे वह भाव विशोद्धि करके निर्भय बन जाता है। क्षमापना से लेकर निर्भयता की यह महत्वपूर्ण यात्रा है।
हमने पर्युषण की अष्टान्हिक आराधना की। कल तो शिखर दिवस भगवती संवत्सरी की आराधना हमने की। हमने इन आठ दिनों में धर्माराधना, आत्माराधना का प्रयास किया है। सब प्राणियों के प्रति मेरा मैत्री भाव है। खमत-खामणा विद्वेष की ग्रन्थि को खोलने का प्रयास है। बढ़िया तो यह है कि गांठ पड़े ही नहीं। खमत-खामणा जैन शासन का एक महत्वपूर्ण उपक्रम है। हम व्यवहार में संघबद्ध और समाज में जीने वाले हैं। साथ में रहते हैं, तो बात हो सकती है पर भगवती संवत्सरी पर सारा कलुष भाव दूर हो जाये। साधु-साध्वियों, समणियों, श्रावक- श्राविकाओं, अन्य धर्म के साधु-साध्वियों, राजनेताओं आदि अनेक लोगों से काम पड़ता है। कल प्रतिक्रमण कर लगभग सभी से खमत-खामणा कर लिया था।
सरलता के सुमेरु आचार्यश्री महाश्रमणजी ने साध्वी प्रमुखाश्रीजी विश्रुतविभाजी, मुख्य मुनि महावीर- कुमारजी, साध्वीवर्या सम्बुद्धयशाजी का नामोल्लेख करते हुए उनसे खमत-खामणा किया। पूज्यवर ने गुरुकुलवास के साधु- साध्वियों, बर्हिविहारी साधु- साध्वियों, समणी वर्ग से खमत- खामणा किया। मुमुक्षु बहिनों, मुमुक्षु भाईयों, उपासक श्रेणी, अन्य सम्प्रदाय के साधु-साध्वियों, चातुर्मास व्यवस्था समिति, धर्मसंघ की सभी संस्थाओं के पदाधिकारियों, श्रावक- श्रााविकाओं, गणमुक्त व्यक्तियों आदि सहित चतुर्विध धर्मसंघ से खमत-खामणा करते हुए पूज्यवर ने क्षमा की अमृतवर्षा की तो चतुर्विध धर्मसंघ ने भी अपने आराध्य को अत्यंत विनत भाव से वंदन करते हुए कृतज्ञता के स्वरों में खमत-खामणा किया। पूज्यवर ने औरंगाबाद की श्राविका तेजीबाई सुराणा की दिवंगत आत्मा से खमत- खामणा करते हुए उनकी आत्मा की आध्यात्मिक उन्नति की कामना की एवं उनके सुपुत्र सुरेन्द्र सुराणा से भी नामोल्लेख के साथ खमत-खामणा किया।
साध्वी प्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी ने फरमाया कि क्षमा परम शक्ति है, परम तप है, धर्म का मूल भी क्षमा ही है। कल्याण का रास्ता भी क्षमा है। तेरापंथ की आचार्य परम्परा क्षमा का मूर्त रूप है। आगे बढ़ने के लिए हम वैमनस्य को छोडं़े। हमें बाहर की गांठ के साथ भीतरी गांठ को भी खोलना है। क्षमापना का यही संदेश है कि हम वैमनस्य की ग्रन्थियों को खोलंे।
साध्वीवर्या सम्बुद्धयशाजी ने फरमाया कि जो मान का क्षय करता है, वही क्षमा कर सकता है। हमें अहंकार-ममकार को छोड़कर सरल हृदय से क्षमा याचना करनी है। हमें सब जीवों के साथ मैत्री का भाव रखना है, सहिष्णुता को बढ़ाना है।
मुख्य मुनि महावीरकुमारजी ने फरमाया कि हम हर बात को पकड़े नहीं, अग्रहण की साधना करें। सार की बात ही ग्रहण करें। क्षमापना के दिवस पर हम औरों की भूलों को क्षमा करें। जिनको हमारे द्वारा ठेस पहुंची है, उनसे क्षमायाचना कर अपने आप को शुद्ध बनायंे। परम पूज्य गुरुदेव से भी हम क्षमा की प्रेरणा लें।
पूज्यवर के मंगल उद्बोधन के पश्चात साध्वी समाज की ओर से साध्वी जिनप्रभाजी आदि सभी साध्वियों ने पूज्यवर, मुख्यमुनि प्रवर एवं साधुओं से खमत-खामणा किया। साधुओं की ओर से मुनि दिनेशकुमारजी एवं सभी सन्तों ने पूज्यवर एवं साध्वी प्रमुखाश्रीजी एवं सभी साध्वियों से खमत-खामणा किया। श्रावक समाज की ओर से किशनलाल डागलिया आदि सम्पूर्ण श्रावक समाज ने पूज्यवर एवं समस्त चारित्रात्माओं से खमत-खामणा किया। सभी श्रावक-श्राविका समाज ने एक दूसरे से खमत-खामणा किया। पूज्यवर ने श्रावक समाज को एक वर्ष में व्रतों में लगे दोष की आलोचना के रूप में तीन उपवास और इक्कीस नमस्कार मंत्र की माला की आलोयणा फरमाई।
आचार्यश्री महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति, मुंबई की ओर से अध्यक्ष मदनलाल तातेड़, भोजनशाला व्यवस्था संयोजक महेन्द्र तातेड़, आवास व्यवस्था संयोजक संदीप कोठारी, जैन विश्व भारती की ओर से अध्यक्ष अमरचंद लूंकड़, पारमार्थिक शिक्षण संस्थान की ओर से बजरंग जैन, अमृतवाणी की ओर से अध्यक्ष रूपचंद दूगड़, प्रेक्षा इंटरनेशनल की ओर से गौरव कोठारी, तेरापंथी सभा-मुम्बई की ओर से नवरतनमल गन्ना, तेरापंथ महिला मण्डल-मुम्बई की ओर से विमला कोठारी, अणुव्रत समिति-मुंबई की ओर से रोशनलाल मेहता, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम-मुंबई की ओर से राज सिंघवी ने परम पूज्य आचार्य प्रवर एवं समस्त चारित्रात्माओं से खमत-खामणा किया।
पूज्यवर द्वारा उद्घोषित भगवती संवत्सरी के बैनर का अनावरण चातुर्मास व्यवस्था समिति एवं श्रावक समाज की ओर से पूज्यवर की सन्निधि में किया गया। पूज्यवर ने आशीर्वचन प्रदान कराते हुए फरमाया कि यह भगवती संवत्सरी वर्ष में एक बार आने वाला कार्यक्रम है। कितनी धर्माराधना से जुड़ा यह दिन है। नौ दिन तक एक अच्छी आध्यात्मिक खुराक भी प्राप्त हो सकती है। व्यवहार, व्यापार, समाज या परिवार में कोई बात हो सकती है पर आज इस क्षमापना दिवस पर सभी का आपस में खमत-खामणा हो जाये। किसी पर झूठा आरोप न लगाया जाये। कटु बोलने का किसी से भी काम न पड़े। परिवार में भी समरसता रहे।
कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया।