भीतर के भावों को प्रकट करने का माध्यम है भाषा और वाणी: आचार्यश्री महाश्रमण
सीपीएस प्रशिक्षक सेमिनार ‘शिखरम’ का आयोजन
नंदनवन, 29 सितंबर, 2023
नंदनवन में मुख्य प्रवचन में युवा मनीषी आचार्यश्री महाश्रमण जी ने पावन प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि आज भाद्रव शुक्ला पूर्णिमा है। चतुर्मास में सावण और भादवा धर्म के खास महीने होते हैं। तपस्या भी अधिक होती है। भाद्रव महीना हमारे धर्मसंघ के इतिहास की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है। कई ऐतिहासिक प्रसंग भाद्रव महीने में घटित हुए हैं। आज का दिन परम पूज्य कालूगणी का पट्टोत्सव का दिन है। उनके संपूर्ण जीवन में पाँच आचार्यों का शासन रहा।
छापर में पूज्य कालूगणी के जन्म शताब्दी का कार्यक्रम पूज्य गुरुदेव श्री तुलसी की सन्निधि में हुआ था। उनका जन्म भी थोड़ा विशिष्टता लिए हुए था। पूज्य कालूगणी के जन्म के समय के प्रसंग को आचार्यप्रवर ने विस्तार से समझाया। मघवागणी के द्वारा कालू की दीक्षा हुई थी। मुनि कालू छापर पर मघवागणी की विशेष कृपा थी। गुरु सेग प्रेरणा मिलती है तो शिष्य को आगे बढ़ने का मौका भी मिल जाता है।
पूज्य माणकगणी व पूज्य डालगणी के शासन में आपको आगे बढ़ने का अवसर मिला था। डालगणी ने तो अपने गोपनीय पत्र में मुनि कालू को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था। भाद्रव शुक्ला बारस को डालगणी का महाप्रयाण हुआ था और आज के दिन पूज्य कालूगणी का लाडनूं में पदारोहण हुआ था। पूजय कालूगणी ने लगभग 27 वर्ष तक जैन श्वेतांबर तेरापंथ की शासनाएँ की।
आपने एक चतुर्मास हरियाणा में व एक यात्रा मालव प्रदेश की की थी। शेष चतुर्मास राजस्थान में ही हुए थे। उनके द्वारा दीक्षित दो सुशिष्य हमारे धर्मसंघ के आचार्य बने। उन दोनों गुरुओं के सान्निध्य में हमें रहने का अवसर मिला है। पूज्य कालूगणी में वात्सल्य भाव थे तो कभी वे शिष्य पर कड़ाई भी कर लेते थे। मैं कालूगणी के प्रति अभिवंदना करता हूँ। पूज्य कालूगणी की स्मृति में रचित गीत ‘कालू प्रभु पादाम्बुज अर्पित भाव भीनी वंदना’ का सुमधुर संगान किया।
मुनि वर्धमान कुमार जी ने पूज्यप्रवर से ग्यारह की तपस्या के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। अन्य तपस्याओं के भी प्रत्याख्यान भी पूज्यप्रवर ने करवाए। अभातेयुप के निर्देशन में सीपीएस प्रशिक्षक सेमिनार ‘शिखरम’ का कार्यक्रम पूज्यप्रवर की सन्निधि में आयोजित हुआ। अभातेयुप राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज डागा एवं महामंत्री पवन मांडोत ने अपने विचार रखे। सीपीएस राष्ट्रीय ट्रेनर अरविंद मांडोत ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।
पूज्यप्रवर ने आशीर्वचन फरमाया कि भीतर में भाव होते हैं, वे कुछ अदृश्य होते हैं। भीतर के भावों को प्रकट करने का माध्यम भाषा बन जाती है। सीपीएस ट्रेनिंग से मन की हिचकिचाहट दूर हो जाती है। सीपीएस की ट्रेनिंग महत्त्वपूर्ण कार्य है। अभातेयुप अनेक गतिविधियाँ संचालित करती है, और भी अध्यात्मिक-धार्मिक सेवा करती रहे। शासन सेवी रतनलाल चैपड़ा स्मृति ग्रंथ-संघ के रतन पूज्यप्रवर को समर्पित किया गया। पूज्यप्रवर ने आशीर्वचन फरमाया।