मोक्ष प्राप्ति के लिए कषायमुक्ति अनिवार्य : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

मोक्ष प्राप्ति के लिए कषायमुक्ति अनिवार्य : आचार्यश्री महाश्रमण

नंदनवन, 28 सितंबर, 2023
जिन शासन प्रभावक आचार्यश्री महाश्रमण जी ने आगम वाणी का रसास्वादन कराते हुए फरमाया कि भगवती सूत्र में तीन शब्दों का उल्लेख किया गया है-बाल, पंडित और बाल पंडित। संसारी जीवों को प्रथम गुणस्थान से लेकर चैदहवें गुणस्थान तक के जो सारे संसारी जीव हैं, उनको इन तीन भागों में बाँटा जा सकता है। बहुत से अनंत जीव बाल हैं। कुछ जीव बाल पंडित और कुछ जीव पंडित होते हैं।
प्रथम चार गुणस्थानों में वर्तन करने वाले सभी जीव बाल होते हैं। मिथ्यात्वी एवं बिना विरति वाले सम्यक्त्वी भी इसमें समाविष्ट हैं। देव-नरक के जीव भी बाल कोटि के होते हैं। एकेंद्रिय से लेकर असंज्ञी पंचेन्द्रिय तक के सारे जीव बाल वर्गीकरण में आते हैं। संसारी जीवों का बहुत बड़ा हिस्सा बाल कोटी में आता है। जो श्रमण-साधु हैं, वे पंडित की कोटि में आते हैं। छठे गुणस्थान से चैदहवें गुणस्थान वाले जीव इसमें आ जाते हैं। पंचम गुणस्थान वाला जीव जो श्रावक है, वे बाल पंडित है। इसमें मनुष्य और तिर्यंच पंचम गुणस्थान वाले हो सकते हैं।
जिसमें पंडा बुद्धि है, वह पंडित कहलाता है। विरतिमान व्यक्ति पंडित होता है, चाहे उसमें अन्य ज्ञान कम हो। सर्व सावद्य योग से रहित है, तो वह साधु पंडित कहलाने का अधिकारी होता है। त्याग का अपना महत्त्व है। वैदुष्य भी एक उपलब्धि है। सर्व विरति से साधु पूजनीय हो जाता है। तेरह नियमों की संपत्ति बहुत बड़ी संपत्ति है। निन्नाणवें रुपये के समान है। पंडित का पांडित्य सुरक्षित रहे और विकसित होता रहे।
श्रावक में भी त्याग-संयम और वैराग्य का विकास होता रहे। दुनिया में पद, प्रतिष्ठा प्रशंसा और पैसा कितना ही मिल जाए, साधुता के सामने ये नाकुछ चीजें हैं। वेष, देश और परिवेष साधुता के सामने गौण है। निश्चय में साधुता आनी चाहिए। व्यवहार में व्यवस्था का पालन अपेक्षित हो सकता है। निश्चय में तो भाव शुद्धता चाहिए। आत्ममुक्ति मूल कसौटी होती है। मोक्ष प्राप्ति के लिए कषायमुक्ति होनी अनिवार्य है। आज चतुर्दशी है। पूज्यप्रवर ने हाजरी का वाचन कराते हुए प्रेरणाएँ प्रदान करवाई। ईर्या समिति के बारे में विस्तार से समणया। मुनि देवकुमार जी ने लेख-पत्र का वाचन किया। पूज्यप्रवर ने तीन कल्याणक बख्शीष करवाए। साथ में सहयोग के लिए मुनि सिद्धकुमार जी को दो कल्याणक बख्शीष सामूहिक रूप में साधु-साध्वियों ने लेख-पत्र का वाचन किया। साध्वीप्रमुखाश्री शासनमाता कनकप्रभा जी की मासिक पुण्यतिथि पर स्मरण किया।
सविता बोहरा ने 15 की तपस्या, पुष्पा देवी ने 8 की तपस्या, हेमलता इंटोदिया ने 35 की तपस्या के पूज्यप्रवर से प्रत्याख्यान करवाए।
कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।