आचार्य भिक्षु चरमोत्सव कार्यक्रम का आयोजन
पीतमपुरा, दिल्ली।
आचार्य भिक्षु फौलादी संकल्प के धनी थे। उनके पास सत्य, संयम, श्रद्धा और सिद्धांतों का अटूट बल था। उनको विचलित करने के लिए अनेक अवरोध आए, भूचाल और तूफान आए पर वे अपने लक्ष्य से एक इंच भी इधर-उधर नहीं हुए। अवरोध अपने आप टूटकर चकनाचूर हो गए। अपने अंतिम समय में अनशन का स्वीकरण किया। स्वर्गारोहण के समय 108 गाँव के लोग लोग सम्मिलित हुए। सिंहवृत्ति से साधुत्व स्वीकार किया और सिंहवृत्ति से अपने शरीर का विसर्जन किया। ये विचार शासनश्री साध्वी रतनश्री जी ने भिक्षु चरमोत्सव के संदर्भ में व्यक्त किए।
शासनश्री साध्वी सुव्रतांजी ने कहा कि भिक्षु नाम बड़ा चामत्कारिक है। श्रद्धा के साथ स्मरण करने से अनेकानेक समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। आज के दिन सहस्रों लोग उपवासी बनकर भिक्षु चरणों में अपना अघ्र्य चढ़ाते हैं। धर्मम जागरणा के द्वारा भिक्षु की यशो-गाथाओं का संकीर्तन करते हैं। शासनश्री साध्वी सुमनप्रभा जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु विराट व्यक्तित्व के धनी थे। संधर्षों की आग में जल-जल कर अपने जीवन को स्वर्ण की तरह चमकाया।
साध्वी चिंतनप्रभा जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु पंचाचार ज्ञान-दर्शन, चारित्र, तप एवं वीर्य में संपन्न आचार्य थे। उन्होंने आगमों का तलस्पर्शी अध्ययन करके 38 हजार पद्यों की संरचना की। वे भगवान महावीर के सक्षम प्रतिनिधि थे। कार्यक्रम का शुभारंभ संपतमल घीया ने मंगल गीत से किया। खिलौनी देवी धर्मशाला परिवार की तर्क से राकेश ने भिक्षु अभिवंदना की वीरेंद्र जैन, तेरापंथ पीतमपुरा सभा की उपाध्यक्षा मनफूल देवी, तेरापंथ महासभा उपाध्यक्ष संजय खटेड़ ने भिक्षु चरणों में श्रद्धा सुमन समर्पित किए। शालीमार बाग तेरापंथी सभा की अध्यक्षा सज्जनदेवी ने अपने आराध्य की स्वतना की। कार्यक्रम का संयोजन कार्तिकप्रभा जी ने किया। रात्रि में धर्म जागरणा का आयोजन दिन में 12 घंटे ¬ भिक्षु का अखंड जाप हुआ। उपवास अच्छी संख्या में हुए।