दीक्षार्थी का मंगलभावना समारोह

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दीक्षार्थी का मंगलभावना समारोह

छापर।
भिक्षु साधना केंद्र के सभागार में दीक्षार्थी धनराज बैद का मंगलभावना कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर शासनश्री मुनि विजय कुमार जी ने कहा कि मनुष्य जीवन की प्राप्ति अतीव दुर्लभ है, उसमें भी त्याग की चेतना का जागना दुर्लभता है। कोई सौभाग्यशाली व्यक्ति ही संयम की परम संपदा को प्राप्त कर पाता है। ढलती उम्र में यह अवसर प्राप्त होना और ज्यादा कठिन है। आगम कहते हैं कि सब प्रकार की अनुकूलता होने पर भी जो विषय-सुखों का त्याग कर देता है, वह उत्कृष्ट त्यागी है। उत्कृष्ट त्याग का जीता-जागता उदाहरण हम धनराज बैद (राजलदेसर निवासी, दिल्ली प्रवासी) को कह सकते हैं।
आर्थिक दृष्टि से संपन्न, सब प्रकार की सुविधा, भरा-पूरा परिवार होने पर भी इन्होंने त्याग का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। ये सबके लिए प्रेरणास्पद बन गए हैं। हमारे श्रावक-श्राविका इनके त्याग को देखकर महाव्रत धारी नहीं तो बारहव्रती और अणुव्रती अवश्य बनें। धनराज बैद ने श्रावक की 11 प्रतिमा की साधना करके श्रावक्त्व के शिखर को छू लिया। मैं मंगलकामना करता हूँ कि ये साधुत्व के शिखर तक की यात्रा करें और अपने लक्ष्य को प्राप्त करें। गुरुवर ने 77 वर्ष की उम्र में संयम की स्वीकृति प्रदान करके इन पर बड़ी कृपा की है। गुरुओं की कृपा सदा इन पर बनी रहे। शासनश्री मुनिश्री ने पद्य और गीत के द्वारा दीक्षार्थी के प्रति मंगलकामना व्यक्त की।
धनराज बैद ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि वर्षों की मेरी भावना गुरु कृपा से फलीभूत होने जा रही है। प्रारंभ में महिला मंडल ने मंगल गीत प्रस्तुत किया। माणकचंद नाहटा, सूरजमल नाहटा, दीक्षार्थिनी सुमन बैद, महिला मंडल अध्यक्षा मंजु दुधोड़िया, तेरापंथ सभा प्रवक्ता प्रदीप सुराणा आदि ने गीत व भाषण के द्वारा अपनी मंगलभावना प्रस्तुत की। महिला मंडल ने दीक्षार्थी को मोमेंटो भेंट करक सम्मानित किया।