सम्यक् तर्क और ज्ञान से नास्तिक भी बन सकता है आस्तिक : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

सम्यक् तर्क और ज्ञान से नास्तिक भी बन सकता है आस्तिक : आचार्यश्री महाश्रमण

नंदनवन, 27 नवंबर, 2023
महामनीषी, तेरापंथ के महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मंगल विहार से पूर्व राजा प्रदेशी के व्याख्यान की विवेचना करते हुए फरमाया कि कुमार श्रमण केशी एक महान ज्ञानी व्यक्तित्व थे। इस अर्हत शासन के विशिष्ट नक्षत्र थे। उनके पास समझने का और तर्कों का उत्तर देने का भी सामथ्र्य रहा होगा। राजा प्रदेशी जैसे नास्तिक आदमी को उन्होंने आस्तिक बनाने में सफलता प्राप्त की।
नगर के मुखिया व्यक्ति जो नास्तिक हो उसे आस्तिक बना दे, मिथ्यात्वी से सम्यक्त्वी बना दे और अव्रती से कुछ देशव्रती भी बना दे तो बहुत बड़ा कार्य हो जाता है। योजनाबद्ध तरीके से राजा प्रदेशी को कुमार श्रमण केशी के पास लाया गया और बताया गया कि ये साधुजी आत्मा और शरीर को अलग-अलग मानते हैं।
राजा प्रदेशी का मत था कि आत्मा-शरीर एक ही है। दोनों के बीच चर्चाएँ हुई। कई तर्कों से राजा ने अपनी बात रखी। कुमार श्रमण केशी को अपने मन से राजा के तर्कों को खंडित किया। चाहे वह दादा या दादी का प्रसंग हो, चोर और लोह कुंभी का प्रसंग हो। कुठागारशाला और भेरी का प्रसंग हो। चोर की जीवित और मृत अवस्था का प्रसंग हो। चाहे चोर के शरीर के टुकड़े-टुकड़े करने का प्रसंग हो या आत्मा को हथेली में लेकर दिखाने का प्रसंग हो, सभी तर्कों को अपने उदाहरण से राजा प्रदेशी को समझाया। इस तरह कई प्रकार के प्रश्नों के उत्तर से राजा प्रदेशी कुछ शाश्वत हुआ। कुछ जो परंपरा की मान्यता का प्रसंग था उसे लौह बाणिये के प्रसंग से कैसे समझाया। कुमार श्रमण केशी ने किस तरह राजा प्रदेशी को समझाकर श्रावक बनाया वह प्रसंग पूज्यप्रवर कल प्रवचन में फरमाएँगे।
साध्वीवर्या सम्बुद्धयशा जी ने एक प्रसंग से समझाया कि मूल्यांकन हर व्यक्ति का होना चाहिए, पर मूल्यांकन सही हो। श्रावक को भी अपना मूल्यांकन करना चाहिए कि मैं श्रमणोपासक हूँ या नहीं। जैन धर्म में चार तीर्थ होते हैं। उनमें श्रावक-श्राविका भी होते हैं। श्रावक जिनशासन के अविभाज्य अंग होते हैं। मुंबई महिला मंडल, भोजनशाला व्यवस्था टीम, रेणु कोठारी, रवि जैन निर्मल जैन, प्रेमलता कच्छारा, तारा मुणोत, सीमा लोढ़ा, पार्थ दुगड़, पुष्पा लोढ़ा ने गीत से अपनी भावनाएँ व्यक्त की। चातुर्मास व्यवस्था समिति महामंत्री महेश बाफना, भगवतीलाल बागरेचा, कुलदीप बैद, संदीप बाफना, गौरव कोठारी, बाबूलाल समदड़िया, नरेश मेहता, सलिल लोढ़ा, रूपचंद दुगड़, ख्यालीलाल तातेड़, ललित चपलोत, मुदित भंसाली, जीतूभाई भाभेरा, सुरेश बैद, प्यारचंद मेहता, छतरसिंह खाटेड़, मनोहर गोखरू आदि ने अपनी भावनाएँ व्यक्त की। पूज्यप्रवर के तीसरे दिन के मंगलभावना समारोह में भोजनशाला टीम ने भी गीत से पूज्यप्रवर के प्रति अपनी मंगलभावना अभिव्यक्त की।