भगवान पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक का आयोजन
के0जी0एफ।
कर्नाटक के कोलार जिले के के0जी0एफ0 में मुनि दीप कुमार जी के सान्निध्य में जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का जन्म कल्याणक महोत्सव का आयोजन तेरापंथ भवन में तेरापंथी सभा द्वारा किया गया। मुनि दीप कुमार जी ने कहा कि तीर्थंकर जैन धर्म के मुख्य धुरी होते हैं। 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ ऐतिहासिक पुरुष थे। उनका तीर्थ प्रवर्तन भगवान महावीर से 250 वर्ष पहले हुआ। अहिंसा और सत्य की साधना को समाजव्यापी बनाने का श्रेय भगवान पार्श्वनाथ को है। भगवान पार्श्वनाथ अहिंसक परंपरा के उन्नयन द्वारा लोकप्रिय हुए। भगवान का वाराणसी में राजा अश्वसेन के महलों में महारानी वामादेवी की कुक्षि से जन्म हुआ। भगवान ने दीक्षा ग्रहण की, साधना की उपसर्गों को सहा और भगवत्ता को प्राप्त किया। मुनिश्री ने आगे कहा कि भगवान पार्श्व का प्रभाव सुदूर देशों में भी गहरा फैला हुआ था। बड़े-बड़े राजा उनके शिष्य बने। मंत्र शास्त्र में भी भगवान पार्श्व की स्तुति में विपुल मात्रा में मंत्र और स्तोत्र प्राप्त होते हैं। मुनिश्री ने आचार्य तुलसी द्वारा निर्मित गीत का संगान किया। मुनि काव्य कुमार जी ने भगवान पार्श्वनाथ की स्तुति में गीत का संगान किया।