एक दिवसीय ज्ञानशाला शिविर का आयोजन
राजरहाट, कोलकाता।
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में दक्षिण बंगाल एवं वृहद कोलकाता स्तरीय एक दिवसीय ज्ञानशाला शिविर ‘परीक्षा की तैयारी’ का आयोजन राजरहाट स्थित आचार्य महाप्रज्ञ महाश्रमण एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के महाश्रमण विहार में तेरापंथी सभा, साल्टलेक द्वारा आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि जिस प्रकार सुगंध के बिना फूल, स्नेह के बिना दीपक, हड्डी के बिना शरीर का, पुतली के बिना आँख का, रस के बिना गन्ने का मूल्य नहीं होता है, उसी प्रकार संस्कार के बिना जीवन का मूल्य नहीं होता है। संस्कार निर्माण का स्वर्णिम काल शैशवकाल होता है। जो संस्कार बचपन में आते हैं-वे पचपन में नहीं आते हैं। संस्कार निर्माण के महत्त्वपूर्ण सूत्र हैं-सहनशीलता, विनम्रता, जागरूकता, श्रमशीलता, चारित्रशीलता। संस्कार निर्माण का महत्त्वपूर्ण उपक्रम है-ज्ञानशाला। ज्ञानशाला के माध्यम से बच्चों में धार्मिक संस्कारों एवं शिक्षाओं का बीज वपन किया जाता है।
इस अवसर पर बालमुनि कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों द्वारा गीत के संगान से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं ने गीत की प्रस्तुति दी। एएमएमईआरएफ के अध्यक्ष भीखमचंद पुगलिया, दक्षिण बंगाल ज्ञानशाला प्रभारी डॉ0 प्रेमलता चोरड़िया, सॉल्टलेक ज्ञानशाला संयोजक अशोक भूतोड़िया ने अपने विचार व्यक्त किए। दुर्गापुर ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंद जी ने किया। शिविर में बच्चों को परीक्षा की तैयारी के लिए अलग-अलग कक्षाओं के माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया। शिविर को सफल बनाने में सॉल्टलेक सभा तथा वृहत्तर कोलकाता की सभी सभाओं का तथा एएमएमईआरएफ ज्ञानशाला परिवार का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। शिविर में 192 ज्ञानार्थियों ने भाग लिया व 66 प्रशिक्षिकाओं ने अपनी सेवाएँ प्रदान की।