जीवन में समय प्रबंधन कर सदुपयोग करें : आचार्यश्री महाश्रमण
पवई, 11 जनवरी, 2024
तेरापंथ के एकादशम अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी का आज मुंबई के उपनगर पवई में पदार्पण हुआ। महामनीषी ने मंगल प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारे आगमों में अध्यात्म के संदेश प्राप्त होते हैं। दर्शन-तत्त्वज्ञान की बातें भी प्राप्त होती हैं। संसार क्या है, उसके बारे में भी जानकारियाँ मिलती हैं। श्लोक में बताया गया है कि संसार अध्रुव और अशाश्वत है। हमारा जीवन भी अधु्रव और अशाश्वत है। इस संसार में दुःख भी प्रचुर मात्रा में है। एक चिंता मिटती है तो कई बार दूसरी चिंता तैयार रहती हैं। एक के बाद एक समस्या आ जाती है। एक दिन तो हर प्राणी का जीवन समाप्ति को प्राप्त होता है। इस जीवन के बाद दुर्गति में न जाना पड़े, इसके लिए क्या करना चाहिए।
यह मनुष्य जीवन हमें प्राप्त है। यह मानव जीवन दुर्लभ बताया गया है, पर हमारे लिए तो यह उपलब्ध है। इस मानव जीवन में जो अध्यात्म की साधना की जा सकती है, अन्य किसी योनी में उतनी उत्कृष्ट साधना नहीं की जा सकती। मानव जीवन को पाकर कोई इसे पाप-भोगों में गँवा देता है, वह आदमी एक प्रकार से मूढ़-नादान होता है। आदमी जीवन में समय का प्रबंधन कर सदुपयोग करे। अगली गति में दुर्गति न मिले इसके लिए आदमी ईमानदारी का आचरण करे। झूठी बात या झूठा आरोप न लगाए, चोरी न करे। ईमानदारी के सामने बहुत सी सुख-सुविधाएँ बहुत छोटी चीज हैं। आदमी अहिंसा के पथ पर चले। जीवन में संयम-सादगी रहे, सद्गुण रहे। धर्म की साधना में भी समय लगाएँ।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि परमपूज्य आचार्यश्री को हम सभी महान यायावर के रूप में देख रहे हैं। परिव्राजक के रूप में देख रहे हैं। परिव्रजन का उद्देश्य है लोककल्याण। पंखे की तरह लोगों का परिताप का हरण कर शीत प्रवचन द्वारा जन-जन का हित कर रहे हैं। पूज्यप्रवर के स्वागत में शांतिलाल कोठारी, जीतो से सुखराज नाहर, स्थानीय विधायक दिलीप लांडे ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। ज्ञानशाला की सुंदर प्रस्तुति हुई। पवई तेरापंथ समाज की डायरेक्ट्री लोकार्पित की गई। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।