परम सुख की प्राप्ति के लिए स्वीकारें धर्म की शरण : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

परम सुख की प्राप्ति के लिए स्वीकारें धर्म की शरण : आचार्यश्री महाश्रमण

कांजुरमार्ग, 10 जनवरी, 2024
वृहत्तर मुंबई के क्षेत्रों को पावन करते हुए अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी आज प्रातः कांजुरमार्ग पहुँचे। मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए शांतिदूत ने फरमाया कि शरण शब्द हम कई बार काम में लेते हैं। अरहंतो की शरण स्वीकार करते हैं। सिद्धों, साधुओं और केवली प्रज्ञप्त धर्म की शरण स्वीकार करते हैं। सबसे मूल तो केवली प्रज्ञप्त धर्म की शरण है। इनकी शरण से परम सुख को प्राप्त किया जा सकता है। शास्त्रकार ने कहा है कि तुम्हारे स्वजन, मित्र और परिवार आदि लोग हैं, वे तुम्हें शरण देने में समर्थ नहीं हैं। तुम भी अपने पारिवारिकजनों, मित्रों को शरण और त्राण देने में समर्थ नहीं हो।
व्यवहार में एक-दूसरे को एक-दूसरे से सहायता-सुरक्षा मिल जाती है। त्राण देने, सुरक्षा देने का प्रयास भी किया जाता है। डॉक्टर मरीज की, धनाढ्य व्यक्ति गरीब की देखभाल-सहायता करते हैं।
बीमारी, बुढ़ापा और मृत्यु ये ऐसी स्थितियाँ हैं कि उस स्थिति में कोई त्राण नहीं बन सकता है, धर्म त्राण बन सकता है। सारी स्थितियों से मुक्त हो आत्मा मोक्ष में विराज जाती है। अध्यात्म, धर्म और वीतरागता की साधना से व्यक्ति अशरीर अवस्था को प्राप्त हो जाता है तो सब दुःखों से छुटकारा हो जाता है। धर्म शास्त्रों से हमें यह पथदर्शन मिल जाता है कि जीवन कैसे जीया जाए। गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी अध्यात्म और त्याग-संयम चले। धर्म का प्रभाव साथ चल सकेगा, धन और भौतिक चीजें यहीं रह जाएँगी। बढ़ती उम्र में आदमी को आत्मा और अध्यात्म के प्रति जागरूक होना चाहिए। समाज की धार्मिक-आध्यात्मिक सेवा करनी चाहिए।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि नदी कभी जल नहीं पीती। वृक्ष कभी फल नहीं खाते हैं, उसी प्रकार सज्जन व्यक्तियों का जीवन परोपकार के लिए ही होता है। प्रकृति हमें परोपकार की प्रेरणा देती है। आचार्यप्रवर परोपकार के लिए अनेक कार्य कर रहे हैं। परोपकार के लिए ही आचार्यश्री प्रलंब यात्रा कर रहे हैं। पूज्यप्रवर के स्वागत में स्थानीय विधायक सुनील राउत, स्थानीय सभाध्यक्ष सुरेश लोढ़ा ने अपनी अभिव्यक्ति दी। तेयुप एवं महिला मंडल द्वारा गीत की प्रस्तुति दी गई। ज्ञानशाला, कन्या मंडल व किशोर मंडल की प्रस्तुति हुई। एम0एस0 बिट्टा, विवेक तलवार ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।