तेरापंथ की समग्र विद्या के शिक्षण-प्रशिक्षण का  केंद्र है तेरापंथ विश्व भारती : आचार्य श्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

तेरापंथ की समग्र विद्या के शिक्षण-प्रशिक्षण का केंद्र है तेरापंथ विश्व भारती : आचार्य श्री महाश्रमण

पनवेल, मुंबई। २६ फरवरी, २०२४

महान यायावर आचार्य श्री महाश्रमण जी ने सह्याद्रि पर्वतमाला पर स्थित तेरापंथ विश्व भारती परिसर में मंगल आशीर्वचन प्रदान करते हुए फरमाया कि धर्म सबसे बड़ा मंगल होता है। धर्म का सार है- अहिंसा, संयम और तप। यह धर्म परम मंगल है, उत्कृष्ट मंगल है। हमारे जीवन में ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप रूपी धर्म का विकास हो। हमारी आत्मा विकास की पराकाष्ठा प्राप्त होने तक आध्यात्मिक उन्नयन की दिशा में आगे बढ़ती रहे। धर्म की साधना व्यक्तिगत रूप में होती है, तो संगठन रूप में भी होती है। संगठन से पथदर्शन प्राप्त होता है, गुरु परंपरा प्राप्त होती है। गुरु के निर्देशन में, संरक्षण में धर्म साधना की जाती है तो वह अधिक बलवती बन सकती है। संगठन भी कई तरह के होते हैं- सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक। जैन शासन एक धार्मिक संगठन है, भगवान महावीर से संबंधित शासन है। जैन शासन में श्वेतांबर परम्परा के अन्तर्गत हमारा तेरापंथ धर्मसंघ है। इस धर्मसंघ के जनक आद्य आचार्य श्री भिक्षु हुए हैं। हमारे धर्मसंघ मे आचार्य परम्परा चल रही है, जिसका एक दशक पूर्ण हो गया है और दूसरा दशक प्रारंभ हो चुका है। पूर्ववर्ती पूजनीय आचार्यों ने दिशा निर्देश, नेतृत्व, संरक्षण, मार्गदर्शन दिया है। जहां नेतृत्व ठीक हो, अनुशासन, चिंतन, प्रतिभा, भाग्य का उदय भी हो तो विकास हो सकता है।
तेरापंथी महासभा के अन्तर्गत तेरापंथ विश्व भारती का प्रकल्प है। तेरापंथ विश्व भारती नाम का विश्लेषण करवाते हुए आचार्य प्रवर ने फरमाया- तेरापंथ हमारा संगठन है, विश्व का एक अर्थ दुनिया और दूसरा अर्थ संपूर्ण और भारती का अर्थ विद्या होता है। अर्थात् जहां तेरापंथ की समग्र विद्याओं का अध्ययन हो, प्रशिक्षण, जानकारी दी जाए, ज्ञान किया जाए और भी कल्याणकारी गतिविधियां चले, वह तेरापंथ विश्व भारती है।
पूज्य प्रवर ने अनुकंपा वृष्टि करते हुए फरमाया- 'तेरापंथ विश्व भारती की स्थापना हम आज करना चाहेंगे, उसके साथ मूल प्रोजेक्ट की स्थापना -क्रियान्विति के रूप में व इस परिसर की स्थापना हम आज ही करना चाहेंगे। आज २६ फरवरी २०२४ दोपहर २ बजकर २४ मिनट २६ सेकंड पर यह स्थापना मानी जाए।' पूज्य प्रवर ने मंगलपाठ के साथ
तय समय पर तेरापंथ विश्व भारती के स्थापना की घोषणा की। आचार्य प्रवर ने आगे कहा कि मूल गतिविधि-शिक्षण की बात है। पूज्यप्रवर ने आचार्य भिक्षु के दर्शन के निम्नोक्त पद्य का शिक्षण प्रदान करवाया :
जीव जीवे ते दया नहीं, मरे ते हिंसा मत जाण ।
मारण वाला ने हिंसा कही, नहीं मारे ते दया गुण खान।।
अपने आयुष्य बल से कोई जीव जी रहा है, वह हमारी दया नहीं है। कई जीव मृत्यु को प्राप्त करतें हैं वह हमारी
हिंसा नहीं है। कोई मारता है तो वह हिंसा है। अपनी ओर से किसी को नहीं मारने का संकल्प-त्याग दया है। दया गुणों की खान है।

आचार्य प्रवर ने आगे कहा कि जैन दर्शन के अनेक सिद्धांत है, उनको समझने का प्रयास करें। आचार्य भिक्षु का दर्शन अनेक ग्रन्थों में मिलता है। यहां भी शिक्षण-प्रशिक्षण, आध्यात्मिक- धार्मिक कार्य, संस्कार निर्माण शिविर, युवकों, बाइयों, उपासकों, अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान आदि के कार्यक्रम चलते रहें। हमारी सारी गतिविधियों मूल में तेरापंथ से जुड़ी हुई हैं। हम प्रभुमय बनने का प्रयास करें। अब चार विश्व भारती हो गई हैं- जैन विश्व भारती, अणुव्रत विश्व भारती, प्रेक्षा विश्व भारती और तेरापंथ विश्व भारती।
साध्वीप्रमुखा श्री विश्रुत विभा जी ने कहा कि मर्यादा महोत्सव के बाद आज तेरापंथ विश्व भारती के उदय का उत्सव मनाया जा रहा है। जब गुरु की दृष्टि टिक जाती है, चाहे व्यक्ति पर टिके या क्षेत्र पर, वह आबाद हो जाता है। यह परिसर भी साधना करने वालों के लिए आश्रय स्थल बन सकेगा। यहां आने वाला हर व्यक्ति आचार्य भिक्षु के दर्शन को निकटता से समझ पाएगा।
मुख्यमुनि श्री महावीरकुमार जी ने कहा कि हमें प्रबल पुण्याई के धारक आचार्य श्री महाश्रमण जी का सान्निध्य प्राप्त है। हम पूज्य प्रवर का दीक्षा कल्याण वर्ष भी मना रहे हैं जिसका लक्ष्य आध्यात्मिक विकास रखा गया है। तेरापंथी महासभा का प्रकल्प तेरापंथ विश्व भारती तेरापंथ के विकास का हेतु बने।
साध्वीवर्या श्री संबुद्धयशा जी ने कहा कि चीन की एक कहावत है कि ज्ञानी जब स्थिर होता है तो ऋषि बनता है, गतिशील होता है तो सम्राट बनता है। आचार्य श्री महाश्रमण एक ऐसे अलौकिक महापुरुष हैं जो स्थितप्रज्ञता और गतिशीलता का समन्वय हैं। तेरापंथ विश्व भारती की धरती पर आचार्य प्रवर के चरण टिके हैं। यहां आध्यात्मिकता और धार्मिक गतिविधियां साकार रूप प्राप्त करें।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में तेरापंथ विश्व भारती के ट्रस्टियों द्वारा आचार्य अभिवंदना की गई। महासभा अध्यक्ष मनसुखलाल सेठिया, महामंत्री विनोद बैद, कन्हैया लाल जैन पटावरी, तेरापंथ विश्व भारती मुंबई के संयोजक मदनलाल तातेड़, प्रेक्षा इंटरनेशनल के अध्यक्ष अरविंद संचेती आदि ने विश्व भारती के विविध आयामों को जानकारी दी।कार्यक्रम का संचालन महासभा के महामंत्री विनोद बैद ने किया।