जैनम् जयतु शासनम्, नारा नहीं, लक्ष्य बने

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जैनम् जयतु शासनम्, नारा नहीं, लक्ष्य बने

वेल्लूर, तमिलनाडु ।

तमिलनाडु के वेल्लूर शहर के जैन स्थानक में मुनि दीप कुमार जी के सान्निध्य में “जैनम् जयतु शासनम्” विषयक कार्यशाला का आयोजन स्थानकवासी जैन संघ द्वारा किया गया। मुनि दीपकुमार जी ने कहा- जैन धर्म में स्थान-स्थान पर ‘जैनम् जयतु शासनम्’ की ध्वनि उठती है, नारे भी लगते हैं, पर इतने मात्र से हम कृत-कृत्य नहीं हो जाते। हमारा लक्ष्य बने अगर हम वास्तव में जिन शासन की विजय चाहते हैं तो हमें सक्रिय योगदान करना पड़ेगा। यह एक यथार्थ है कि किसी भी चीज की तेजस्विता बलिदान से प्रकट होती है। जैन धर्म के प्रति आकर्षण तभी बढ़ेगा, जब जैनों के जीवन में सच्चा जैनत्व आएगा। आज जैनी कहलाने वाले बहुत हैं, पर जैनत्व का मर्म समझने वाले बहुत ही कम हैं। जैनत्व के संस्कार मजबूत हों, इसके लिए कुछ नए प्रयोग जरूरी हैं। आज प्रचार-प्रसार का युग है तो उसमें जैन धर्म का भी व्यापक प्रचार-प्रसार जरूरी है। जैन धर्म तो वस्तुतः जन धर्म है, मानव धर्म है। मुनिश्री ने आगे कहा- जैन धर्म की विजय पताका लहराए इसके लिए जैन संप्रदायों में एकता बहुत जरूरी है। आचार्यश्री तुलसी ने इस दिशा में भारी पुरुषार्थ किया था। वर्तमान में आचार्यश्री महाश्रमण जी भी “जैनम् जयतु शासनम्” मंच के माध्यम से जैन एकता की ओर बल दे रहे हैं। यह वर्ष जैन धर्म के लिए महत्वपूर्ण है। भगवान महावीर का 2550वां निर्वाण कल्याणक वर्ष है। इसमें जैन समाज की जागरूकता अपेक्षित है। मुनि काव्यकुमार जी ने आचार्य तुलसी द्वारा निर्मित गीत “जय महावीर भगवान” का संगान किया।