सद्गुण रूपी भूषणों से शोभित हो मानव जीवन  : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

सद्गुण रूपी भूषणों से शोभित हो मानव जीवन : आचार्यश्री महाश्रमण

महातपस्वी महापुरुष आचार्य श्री महाश्रमणजी पाटोदा के जय भवानी विद्यालय के प्रांगण में पधारे। मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान कराते हुए महामनीषी ने फरमाया कि चौरासी लाख जीव योनियों में मनुष्य जन्म एक ऐसा जन्म है जहां से साधना करके सीधा मोक्ष जाया जा सकता है। जो उत्कृष्ट साधना एक मनुष्य कर सकता है वह उपलब्धि अन्य किसी योनि में संभवतः नहीं हो सकती। मनुष्य यह सोचे कि मुझे अच्छा जीवन मिला है, मैं अध्यात्म-धर्म से युक्त जीवन जीऊं, मेरे जीवन में सद्‌गुणता-सज्जनता रहे। शरीर को बाह्य आभूषणों से आभूषित करने की अपेक्षा सद्गुण भूषणों से विभूषित करना विशेष बात है। हम आत्मा को विभूषित करने वाले धार्मिक-आध्यात्मिक आभूषण पहने। शरीर का एक अंग है हाथ। हाथ का आभूषण कंगन तो हो सकता है पर हाथ से शुद्ध दान देना, आध्यात्मिक सेवा करना सद्गुण भूषण हो सकता है। दान कभी निष्फल नहीं जाता है। ज्ञानदान, अभयदान भी बहुत बड़ा दान होता है।
सिर का भूषण है- गुरु के चरण में नमस्कार करना।
मुंह का आभूषण है- सत्य वचन बोलना।
कान का भूषण है- ज्ञान की बात, अध्यात्म वाणी को सुनना।
हृदय का आभूषण है- हृदय में सरलता-स्वच्छ वृत्ति रखना।
भुजाओं का भूषण है- पौरुष का आध्यात्मिक सेवा में उपयोग करना।
बाह्य आभूषणों के तो पैसे लगते हैं, पर सद्‌गुणों के आभूषण जीवन में बिना पैसे के भी हो सकते हैं। दुनिया में अनेक महापुरुष हुए हैं। इस देह में जो आत्मा है उसमें अनन्त ज्ञान, अनन्त दर्शन, अनन्त आनन्द और निरन्तरायता है। इस मानव जीवन में हम इन भीतरी गुणों को प्रकट करने का प्रयास करें। जीवन को सुद्गुण संपन्न बनाने का प्रयास करें। बड़ों के प्रति हमारा अच्छा सम्मान और विनय युक्त व्यवहार हो। विद्यार्थी विद्या के साथ विनय का भी विकास करें। अंहकार विद्या का दूषण है, हमारी वाणी भी मधुर हो, जीवन में ईमानदारी हो, खान-पान शुद्ध हो। हम इस मानव जीवन को सद्गुणों से आभूषित करने का प्रयास करें। पूज्यवर के स्वागत में पाटोदा जैन समाज की ओर से श्रीमती सुषमा कांकरिया, नगर अध्यक्ष राजू जाधव, गणेश कवड़े, सत्यभामा ताई, डा. विश्वास कदम, अप्पा साहब राघव, सुरेश ताई, संजय कांकरिया ने अपनी भावाभिव्यक्ति प्रस्तुत की। चन्दनबाला कांकरिया, समकित कांकरिया, संस्कृति श्राविका मंडल एवं कन्या मंडल ने गीत का संगान किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया।