क्या आप महाश्रमण  बनना चाहते हैं?

क्या आप महाश्रमण बनना चाहते हैं?

यदि हां, तो-
स्वयं को अध्यात्मनिष्ठा से भावित कीजिए। आचार्य श्री तुलसी और आचार्य श्री महाप्रज्ञ को मुनि मुदित की अध्यात्मनिष्ठा ने इतना प्रभावित किया कि उन्हें महाश्रमण बना दिया।
lअपने भीतर करूणा का दरिया बहाइए। ऐसा दरिया जिसमें भीगे हुए हर प्राणी को परम शान्ति का अनुभव होने लगे। हमेशा दूसरों की पीड़ा को अपनी पीड़ा समझते हुए उसमें सहानुभूति उंडेलिए।
lवाणी में अमृत घोलिए। कठोर वचनों को अपने शब्दकोष में से निकाल दीजिए। किसी को उपालम्भ भी देना हो तो मधुर शब्दों में दीजिए।
lसत्य के पुजारी बनिए। सत्य से कभी समझौता न करें। दृढ़संकल्पित हो जाइए कि सत्य के लिए कोई कठिनाई आएगी तो उसे भी झेलेंगे। अपनी भाषा में प्रायः लगभग, शायद, लखावै, आसरै आदि शब्दों का प्रयोग बार-बार करते रहिए और निश्चयकारी भाषा से बचते रहिए।
lश्रम की चेतना जगाइए। दूसरों के कल्याण के लिए भूख-प्यास, सर्दी-गर्मी, धूप-छांह किसी की परवाह मत कीजिए। स्वेद-बूंदें बहाकर भी भक्तों की भावना पूर्ण कीजिए, भले ही प्रलम्ब विहारों को और प्रलम्ब करना पड़े। जनता को आशीर्वाद देने के लिए दिन भर हाथ ऊपर करते रहिए।
lसुविधाओं को खबरदार कहिए। स्वयं को इतना सहनशील बना लीजिए कि सुविधा का घुन लगने ही न पाए। उदाहरण के तौर पर शरीर भले ही पसीने से तरबतर हो जाए किन्तु कृत्रिम हवा से पूरा परहेज रखें। कदाचित् कक्ष में पंखा चल भी जाए तो तत्काल खड़े हो जाइए। इसी प्रकार स्वास्थ्य की अनुकूलता न हो या कभी बहुत लम्बे विहार (एक दिन में 47 किमी) हो तो भी हस्त-चलित साधन का प्रयोग न करें, भले ही वह पास में खाली चलता रहे।
lस्वाद को अलविदा कहिए। भोजन में बहुत सीमित द्रव्यों का सेवन करें। मिठाई, तली-फली चीजें, विविध प्रकार के नए-नए आइटम की ओर आंख भी मत उठाइए। हो सके तो चीनी मात्र का त्याग कर दीजिए और प्रतिदिन पांच विगय वर्जन करते रहिए। फिर भी किसी पदार्थ में स्वाद का भाव आ जाए तो तत्काल उसका त्याग कर दीजिए।
lहर पल मुस्कुराते रहिए। मुस्कान कितनों-कितनों की थकान मिटाकर उनमें प्राणों का संचार कर देती है। बिना कुछ कहे समाधान दे देती है। इस निश्छल मुस्कान से लोगों को अनिर्वचनीय आनन्द की अनुभूति होती है। इसलिए अपनी मधुर मुस्कान ऐसे लुटाइए जैसे कोई श्रेष्ठ दानवीर अपनी सम्पत्ति लूटा रहा हो।
•lस्वयं को अलार्म बना लीजिए। जैसे 4 बजे की अलार्म लगाते हैं तो वह 4 बजे ही बजती है। न तो एक मिनट पहले और न ही एक मिनट बाद में। ठीक इसी प्रकार यदि आपको कोई कार्य 2 बजे करना है तो वह 1 बजकर 59 मिनट पर या 2 बजकर 1 मिनट पर नहीं, ठीक 2 बजे ही शुरू होना चाहिए। इसके लिए आप अपनी डायरी में नोट करके रखिए कि कौन-सा कार्य किस समय पर करना है। किस व्यक्ति से किस समय और कितने समय बात करनी है आदि। ऐसा करने से आपके सारे कार्य व्यवस्थित रूप से सम्पादित हो सकेंगे।
इस प्रकार महाश्रमण बनने के और भी अनेक टिप्स हैं। अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें-