अभिनंदन ग्रंथ ‘मूल से यशशिखर तक’ का लोकार्पण

गुरुवाणी/ केन्द्र

अभिनंदन ग्रंथ ‘मूल से यशशिखर तक’ का लोकार्पण

तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम् अनुशास्ता युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण के पावन सान्निध्य में महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर (औरंगाबाद) जिले के सेकता ग्राम में 13 मई 2024 को आयोजित समारोह में समाजसेवी मूलचन्द नाहर के व्यक्तित्व और कर्तृत्व पर आधारित अभिनंदन ग्रंथ ‘मूल से यशशिखर तक’ का लोकार्पण किया गया।
पूज्यप्रवर की अमृत देशना के बाद लोकार्पण समारोह का गरिमामय संचालन करते हुए अभिनंदन ग्रंथ के प्रधान संपादक अविनाश नाहर ने मूलचन्द नाहर के व्यक्तित्व की विशिष्टताएं बताईं। उन्होंने नाहर द्वारा जन-जन में मानवीय मूल्यों के विकास के गुरुतर उद्देश्य से संघसेवा तथा समाजसेवा के क्षेत्र में किए गए कार्यों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि संपादक मोहन मंगलम तथा ग्राफिक आर्टिस्ट आशुतोष राय के श्रम-बूंदों से अभिनंदन ग्रंथ के संपादन का दुरूह कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हो सका। तत्पश्चात् नाहर परिवार से विजेता रायसोनी, साची रायसोनी और हिमानी नाहर ने पूज्यप्रवर के समक्ष अभिनंदन स्वरूप गीतिका की प्रस्तुति दी। मूलचन्द नाहर के साथ कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त एवं उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एन. संतोष हेगड़े, पूर्व मेजर जनरल नरपतसिंह राजपुरोहित, मारवाड़ जंक्शन के विधायक केसाराम चौधरी, सिरियारी के ठाकुर मल्लीनाथ सिंह आदि ने अभिनंदन ग्रंथ का लोकार्पण करने के साथ ही पूज्य गुरुदेव को निवेदित किया।
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि आदमी के जीवन में सरलता हो, वह छल-कपट से मुक्त रहे और सेवा भावना हो, सहिष्णुता हो, संयम की चेतना हो, अहंकार न आए। जो दूसरों के लिए कुछ करता है, जिस व्यक्ति में आध्यात्मिकता होती है, वह व्यक्ति दूसरों के लिए प्रिय बन सकता है, कहीं-कहीं अजातशत्रु और सर्वप्रिय भी कुछ अंशों में या पूर्ण अंशों में बन सकता है। मूलचन्द जी नाहर के संदर्भ में अभिनंदन ग्रंथ का लोकार्पण हुआ है। यह ग्रंथ लोगों के लिए प्रेरणा का निमित्त बने। नाहर परिवार और मूलचन्द नाहर खूब अच्छा धार्मिक आध्यात्मिक सेवा का कार्य करते रहें, यही मंगल कामना है।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी ने कहा कि केवल अर्थ से ही व्यक्ति महान नहीं होता है। अर्थ तो बहुत से व्यक्तियों के पास हो सकता है, लेकिन मूलचन्द जी में गुणवत्ता, सरलता, निगर्विता और अनासक्ति जैसे अनेक गुण हैं जिनके कारण उनका व्यक्तित्व लोगों को भा रहा है। मैं मंगलकामना करती हूं कि मूलचन्द जी की संघनिष्ठा, गुरुनिष्ठा और आचार निष्ठा उत्तरोत्तर वृद्धिंगत होती रहे।
मुख्यमुनि महावीरकुमारजी ने कहा कि जिस व्यक्ति की गुरु के प्रति श्रद्धा होती है, समर्पण होता है और जिसके जीवन में गुरुकृपा होती है, वह व्यक्ति हर कार्य को निर्विघ्नता से संपन्न करने में सक्षम होता है। मूलचन्द नाहर धार्मिक गुणों का विकास करते हुए अपने जीवन को उत्तम श्रावक की कोटि में लेकर आएं, ऐसी मंगलकामना। साध्वीवर्या सम्बुद्धयशाजी ने कहा कि मूलचन्द नाहर श्रद्धाशील श्रावक हैं जो देव-गुरु-धर्म के प्रति अटूट श्रद्धा भाव रखते हैं। पूज्य चरणों में जस्टिस एन. संतोष हेगड़े, पूर्व मेजर जनरल नरपत सिंह राजपुरोहित, मारवाड़ जंक्शन के विधायक केसाराम चौधरी ने अपने विचार व्यक्त किये। मूलचन्द नाहर ने कृतज्ञता का भाव व्यक्त करते हुए कहा कि गुरुदेव, मेरी सारी सफलता आपकी कृपा पर ही निर्भर है। आपकी कृपा से सारे काम होते जा रहे हैं। आपके चरण जैसे ही सामने आते हैं, मैं निश्चिंत हो जाता हूं। आपका नाम लेकर काम में जाते हैं तो सारी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। शशिकला नाहर, प्रकाश मूथा, ललित जैन आच्छा, धर्मीचंद धोका, विजेता रायसोनी ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए। आभार ज्ञापन मुकेश नाहर ने किया।