अक्षय तृतीया दिवस पर आयोजित िवभिन्न कार्यक्रम

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अक्षय तृतीया दिवस पर आयोजित िवभिन्न कार्यक्रम

जैन धर्म में अक्षय तृतीया का संबंध भगवान ऋषभ से जुड़ा हुआ है। वैशाख शुक्ला 3 को भगवान ऋषभ ने इक्षु से पारणा किया था, उनकी स्मृति में यह पर्व मनाया जाता है। ऋषभ असि, मसि, कृषि व ऋषि परम्परा के सूत्रधार थे। मानवीय संस्कृति व सभ्यता के विकास के पुरोधा थे, सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक आदि सभी व्यवस्था के सृजक थे। ऋषभ प्रथम मुनि बने, एक वर्ष से भी अधिक समय तक विचरण करते-करते हस्तिनापुर पधारे। राजकुमार श्रेयांस के हाथों से वर्षीतप का पारणा किया। वह दान, दाता और वह तप अक्षय बन गया। उपरोक्त विचार मालू भवन में सेवाकेन्द्र व्यवस्थापिका 'शासनश्री' साध्वी कुंथुश्री जी ने अक्षय तृतीया के पावन पर्व के अवसर पर व्यक्त किये। कार्यक्रम की शुरुआत साध्वी सुमंगलाश्रीजी के मंगलाचरण से हुई। सभाध्यक्ष विजयराज सेठिया, महिला मंडल से मंजू झाबक, तेयुप अध्यक्ष मनीष नौलखा ने अपने विचार व्यक्त किए। सेवाकेन्द्र की साध्वियों व महिला मंडल ने गीतिका के द्वारा वर्षीतप के तप की अनुमोदना की। ज्ञानशाला के बच्चों द्वारा भगवान ऋषभदेव के पारणे की सुन्दर प्रस्तुति दी गयी। कार्यक्रम का सफल संचालन साध्वी सुमंगलाश्रीजी ने किया। स्थानीय संस्थाओं द्वारा कलकत्ता से आई हुई तपस्विनी बहन राजूदेवी का सम्मान किया गया।