अक्षय तृतीया दिवस पर आयोजित िवभिन्न कार्यक्रम

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अक्षय तृतीया दिवस पर आयोजित िवभिन्न कार्यक्रम

साध्वी स्वर्णरेखाजी के सान्निध्य में अक्षय तृतीया महोत्सव का आयोजन किया गया। मधु कोचर, कुसुम मालू ने वर्षीतप की साधना से भगवान ऋषभ को तप का अर्ध्य चढ़ाया। साध्वीश्री ने तपस्वियों एवं श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि- जैन धर्म के उन्नायक भगवान ऋषभ ने जैन संस्कृति को त्याग एवं तप से सींचा। सौ वरदानों में प्रथम वरदान तपस्या को माना गया। जैसे - सूर्य के पीछे प्रकाश, बादल के पीछे विद्युत स्फुरण, जल के पीछे शीतलता आती है वैसे ही तपस्या के साथ सर्वगुण समूह चले आते हैं। शरीर में जो स्थान प्राण का है वही धर्म में तपस्या का है। आज के दिन भगवान ऋषभ ने बारह महीने की तपस्या का पारणा किया था उसी की स्मृति स्वरूप आज भी अक्षय तृतीया का पावन दिन ‘पारणा महोत्सव’ के रूप में मनाया जाता है। सभी धर्मों में अक्षय तृतीया का महत्व किसी न किसी रूप से जुड़ा हुआ है। कार्यक्रम में साध्वी वृंद ने 'ऋषभ पोस्ट ऑफिस' की प्रस्तुति दी। महिला मंडल ने राजकुमार श्रेयांस द्वारा पारणे का दृश्य दिखाया। युवती मंडल ने 'ऋषभ एक: रूप अनेक' कार्यक्रम प्रस्तुत किया। स्थानीय युवक परिषद, ज्ञानशाला ने गीत प्रस्तुत किया। स्थानीय सभा अध्यक्ष सतीश दुगड़, निशा लालवानी, सोनी कोचर, फतेचन्द कोचर, नेहा मालू ने अपनी भावना गीत एवं वक्तव्य के माध्यम से राखी। कार्यक्रम संचालन स्थानीय सभा मंत्री सुरेन्द्र नौलखा ने किया।