आचार्यश्री महाश्रमणजी के दीक्षा कल्याण वर्ष की सम्पन्नता पर िवविध आयोजन
साध्वी रचनाश्रीजी के सान्निध्य में आचार्यश्री महाश्रमण जी का 63 वां जन्मोत्सव एवं 15वां पट्टोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर साध्वीश्री ने कहा कि जन्म लेना बड़ी बात नहीं है, सभी प्राणी जन्म लेते हैं। जन्म उनका सफल और सार्थक बनता है जो गुरु दृष्टि की आराधना करते हैं। आचार्यश्री ने गुरु तुलसी की दृष्टि की आराधना की, उनकी पारखी नजरों में आए। आचार्य अपने उत्तराधिकारी को चुनने के कुछ मापदंड रखते हैं। वे हैं - चारित्रिक दृढ़ता, कार्य दक्षता, व्यवहार पटुता, धृति बल, श्रम बल और आगम के प्रति सत्य निष्ठा। मुनि मुदित आचार्य श्री तुलसी की नजरों में इस मापदंड में खरे उतरे और आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के उत्तराधिकारी बने। तेरापंथ के आचार्य 13 दायित्वों का निर्वाह करते हैं। साधु-साध्वियों के अच्छे कार्य की सराहना करना, गलत कार्य की वारणा करना, योग्य व्यक्ति को दीक्षा देना, अपने उत्तराधिकारी की नियुक्ति करना, साधु-साध्वियों के चातुर्मास-विहार की घोषणा करना, योग्यता अनुसार व्यक्तियों का नियोजन करना, प्रशिक्षण देना, व्याख्यान वाचना करना, चिकित्सक बन भव व्याधि को समाप्त करना, दोषों का प्रायश्चित देना, बहिर्विहार से आने वाले सिंघाड़ों की वार्षिक रिपोर्ट का आंकलन करना, पृच्छा करना, मंगल पाठ सुनाना, श्रावक-श्राविकाओं को संभालना और तनाव मुक्त रहना, ये 13 दायित्व तेरापंथ के आचार्य निभाते हैं। हम मंगल कामना करते हैं कि आचार्य प्रवर लंबे समय तक हमें शासना देते रहे। आपका जन्म दिवस हम सभी के लिए वरदायी हो, शुभ हो, मंगल हो। साध्वीवृंद ने 'शासनश्री' साध्वी यशोमती जी द्वारा रचित भावपूर्ण गीत का सुमधुर संगान किया। सभा अध्यक्ष निर्मल नाहटा, युवक परिषद अध्यक्ष अर्पित पोरवाल, महिला मंडल मंत्री मोना बंबोरी, टीपीएफ पूर्व अध्यक्ष विकास बैद आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। साध्वी नमनप्रभाजी, साध्वी प्राज्ञप्रभाजी ने महाश्रमण अष्टकम् द्वारा कार्यक्रम का मंगलाचरण किया। साध्वी गीतार्थप्रभाजी ने कार्यक्रम का संचालन किया।