अक्षय तृतीया दिवस पर आयोजित िवभिन्न कार्यक्रम

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अक्षय तृतीया दिवस पर आयोजित िवभिन्न कार्यक्रम

भारतीय संस्कृति में अक्षय तृतीया पर्व का विशेष महत्व रहा है अक्षय तृतीया के पावन प्रसंग पर जैन धर्मावलंबी अपनी एक वर्ष की सुदीर्घ एकांतर तपस्या को पारणे के साथ परिसंपन्न करते हैं। स्थानीय स्तर पर तेरापंथ भवन, सिटी लाइट में आचार्यश्री महाश्रमणजी के आज्ञानुवर्ती बहुश्रुत परिषद् सदस्य मुनि उदितकुमार जी, शासन साध्वी चंदनबालाजी, साध्वी जिनप्रभाजी, साध्वी मधुबालाजी, साध्वी सुषमाकुमारीजी, साध्वी विमलप्रज्ञाजी, साध्वी निर्वाणश्रीजी, साध्वी चित्रलेखा जी, साध्वी त्रिशलाकुमारीजी, साध्वी हिमश्रीजी, साध्वी सम्यकप्रभाजी एवं साध्वी मीमांसाप्रभा जी के सान्निध्य में साध्वी कल्पयशाजी, साध्वी मलयप्रभा जी एवं साध्वी प्रांजलयशाजी सहित समग्र दक्षिण गुजरात के लगभग 65 तपस्वी भाई-बहनों ने वर्षीतप तपस्या के पारणे किए। इस अवसर पर मुनि उदितकुमारजी ने कहा- वर्षीतप की तपस्या जैन परंपरा की सुदीर्घ तपस्या है। प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के साथ इसके तार जुड़े हुए हैं। लाखों करोड़ों वर्ष पूर्व मनुष्य जब यौगलिक युग में आदिमानव की अवस्था में रहता था तब ऋषभ प्रथम राजर्षि बने। उन्होंने मनुष्य को असि, मसि एवं कृषि की कला सिखाई। उन्होंने गृह व्यवस्था, परिवार व्यवस्था एवं समाज व्यवस्था का प्रवर्तन किया। सामाजिक-लौकिक कर्तव्यों को पूर्ण करने के बाद वे संन्यासी बन गये। लोग उनकी सन्यस्त अवस्था को समझ नहीं पाए, आहार आवश्यकता को समझ नहीं पाए और ऐसे ही घूमते-घूमते लगभग 13 महीने तक ऋषभ को आहार पानी उपलब्ध नहीं हो पाया। उनकी कठोर साधना की स्मृति में आज भी जैन श्रावक श्राविकाएं लगभग 13 महीने तक एकांतर उपवास करते हुए तपस्या करते हैं, जिसे वर्षीतप कहा जाता है। वर्षीतप तपस्या करने वाले तपस्वी सचमुच साधुवाद के पात्र हैं। गत वर्ष पूज्य आचार्य प्रवर के सान्निध्य में सूरत में 1100 से भी अधिक वर्षीतप तपस्वियों ने पारणे किए थे जो कि एक दुर्लभ कीर्तिमान है। मुनिश्री ने पूज्य आचार्यश्री महाश्रमण जी के आगामी सूरत चातुर्मास में विशेष त्याग तपस्या एवं साधना करने का आह्वान किया। साध्वी त्रिशला कुमारी जी ने कहा - वर्षीतप तपस्या करने वाले भाई बहनों ने दोहरा लाभ अर्जित किया है। उन्होंने कर्मों की निर्जरा भी की है एवं अपने कठोर तप द्वारा तेरापंथ धर्मसंघ व जिन शासन को भी सुशोभित किया है। साध्वी कल्पयशा जी, साध्वी मलयप्रभा जी एवं साध्वी प्रांजलयशा जी ने अपनी वर्षीतप तपस्या को पूज्य गुरुदेव की विशेष कृपा एवं आशीर्वाद का फल बताते हुए अपने हृदय के उद्गार अभिव्यक्त किए। साध्वीवृंद द्वारा सामूहिक तप अनुमोदना संगान की प्रस्तुति की गई। तेरापंथी सभा सूरत के मैनेजिंग ट्रस्ट्री बाबूलाल भोगर, तेरापंथी सभा सूरत के अध्यक्ष राजेश मादरेचा, आचार्यश्री महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति, सूरत के अध्यक्ष संजय सुराणा, टीपीएफ अध्यक्ष कैलाश झाबक, महिला मंडल अध्यक्ष चंदा भोगर आदि ने तपस्वियों का सम्मान किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी उषाप्रभा जी एवं सभा मंत्री मुकेश जी बैद ने किया। मंगलाचरण महिला मंडल एवं कन्या मंडल सूरत ने किया।