चातुर्मास में ज्ञान, ध्यान, तप और स्वाध्याय का होता रहे विकास

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चातुर्मास में ज्ञान, ध्यान, तप और स्वाध्याय का होता रहे विकास

आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी पावनप्रभा जी आदि ठाणा 4 का पुष्य नक्षत्र की मंगलमय वेला में तेरापंथ सभा भवन, हिरियुर में चातुर्मासिक प्रवेश हुआ। साध्वी पावनप्रभा जी ने कहा कि भारत देश उगते सूरज का देश है। यहां भौतिकता के साथ आध्यात्मिकता का भी सूरज सदैव उदीयमान रहता है। उत्तर कर्णाटक व हिरियुर को चातुर्मास का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ है। चातुर्मास में ज्ञान, ध्यान, तप व स्वाध्याय का विकास होता रहे। साध्वीश्री ने आराध्य की अभिवन्दना करते हुए कहा कि गुरुवर के निर्देशानुसार आज हिरियुर में चातुर्मास प्रवेश हो गया। साध्वी आत्मयशा जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि हमारा पहला लक्ष्य है हमारा साधुपन अच्छा पले, फिर श्रावक व्रत की आराधना में आपके सहयोगी बनें। हमारा और आपका एक ही ध्येय हो गुरु दृष्टि के आधार पर आगे बढ़ना। साध्वी उन्नतयशा जी ने चातुर्मास में अधिक से अधिक आध्यात्मिक प्रवुत्तियों को अपनाने की प्रेरणा दी। साध्वी वृन्द द्वारा सारगर्भित गीतिकाओं की प्रस्तुति ने विशाल जनसभा को प्रेरित किया।
इससे पूर्व साध्वी वृन्द ने अहिंसा रैली के साथ तेरापंथ भवन, हिरियुर में चातुर्मासिक मंगल प्रवेश किया। नमस्कार महामंत्र से समारोह का प्रारम्भ हुआ। हिरियुर सभाध्यक्ष जयंतिलाल चौपड़ा ने स्वागत वक्तव्य दिया। मुख्य अतिथि संस्था शिरोमणि महासभा के उपाध्यक्ष नरेन्द्र नखत, आँचलिक प्रभारी कमल छाजेड़ ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित उत्तर कर्णाटक तेरापन्थ आँचलिक सभा के नव मनोनीत अध्यक्ष राजेन्द्र जीरावला, तेयुप अध्यक्ष रिषभ बोकड़िया, स्थानीय महिला मंडल, केशरीचन्द गोलछा, विमला कोठारी आदि ने गीतिका, वक्तव्य आदि के माध्यम से अपनी प्रस्तुति दी । कार्यक्रम का संचालन देवराज चौपड़ा ने किया।