संयम साधना में अपने समय का नियोजन करें

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संयम साधना में अपने समय का नियोजन करें

कहा गया है कि गंगा पाप का हरण, चंद्रमा ताप का हरण और कल्पवृक्ष दीनता का हरण करता है, लेकिन संत समागम से पाप, ताप और दीनता इन सबका हरण स्वतः हो जाता है। आचार्यश्री महाश्रमणजी की कृपा से प्राप्त चातुर्मास में श्रावक समाज को अपनी जीवनशैली को बदलना है, और चातुर्मास का भरपूर लाभ उठाना है। तप, जप, सामायिक आराधना और प्रवचन श्रवण में समय को नियोजित करना है। चातुर्मास का समय भीतर की ज्योति को प्रज्वलित करने का उत्तम समय है। हम सबके भीतर अक्षय ज्योति का स्रोत प्रवाहित हो रहा है, धर्म साधना के द्वारा उस ज्योति को प्रज्ज्वलित करना है।
उक्त आशय के उद्गार साध्वी उर्मिलाकुमारीजी ने अपने चतुर्मासिक प्रवेश के अवसर पर तेरापंथ भवन मे श्रावक-श्राविकाओं के समक्ष व्यक्त किए। आपने कहा हम भगवान महावीर, आचार्यश्री भिक्षु तथा आचार्यश्री महाश्रमणजी द्वारा प्रदत्त जागरण का संदेश लेकर चतुर्मासिक क्षेत्र में आए हैं। साध्वी मृदुलयशा जी ने कहा कि श्रावक-श्राविकाएं चातुर्मास से पूर्व अपना टारगेट सेट करें और तपस्या, जप, ध्यान, ज्ञानाराधना और संयम साधना में अपने समय का नियोजन करें और चातुर्मास को सफल बनाने का प्रयास करें। तेरापंथ महिला मंडल व तेरापंथ कन्यामंडल ने स्वागत गीत की सुंदर प्रस्तुति दी। साध्वी वृन्द द्वारा भी सुमधुर गीतिका का संगान किया गया। कार्यक्रम का संचालन तेरापंथी सभा के मंत्री राजेश वोरा ने किया।