ज्ञानशाला उच्च जीवन जीने की प्रयोगशाला है

संस्थाएं

ज्ञानशाला उच्च जीवन जीने की प्रयोगशाला है

अणुव्रत भवन में गुरूग्राम का श्रावक समाज साध्वी कुन्दनरेखा जी के सान्निध्य में ज्ञानशाला के पुनः प्रारंभ हेतु पहुंचा। इस अवसर पर लगभग 20 बच्चों की सहभागिता रही। साध्वीश्री ने बच्चों को प्रशिक्षण देते हुए कहा ज्ञानशाला का पुनः प्रारंभ समाज की जागरूकता का पर्याय बन रहा है। जिस समाज के बच्चे सद्संस्कारी होंगे, ज्योतिर्मय ज्योति से ज्योतित होंगे, वह समाज विकास के शिखर का स्पर्श कर सकता है। ज्ञानशाला उच्च जीवन जीने की प्रयोगशाला है। यहां पर आने वाला हर बच्चा अन्य बच्चों से यूनिक होगा- यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी। साध्वीश्री ने आगे कहा- वर्तमान युग में बच्चों को सही मार्ग से भटकाने वाले अनेक रास्ते हैं। व्यसन परक जीवनशैली के चलते आज का मानव अपना अस्तित्व खो रहा है। ऐसे में ज्ञानशाला का संचालन अति आवश्यक है।
साध्वी सौभाग्ययशाजी ने कहा- बच्चे राष्ट्र की नींव हैं, ये जितने सुदृढ़ होंगे, राष्ट्र का भविष्य उतना ही उज्ज्वल होगा। संस्कार किसी भी दुनियां के मॉल में नहीं, माहौल से मिलते हैं। साध्वी कल्याणयशाजी संचालन करते हुए कहा- गुरुदेव श्री तुलसी ने सर्वांगीण विकास के लिए सुन्दर एवं महत्वपूर्ण अवदान ज्ञानशाला को दिया है। ज्ञानशाला से निकले हुए बच्चे न केवल स्वयं के लिए अपितु परिवार, समाज एवं राष्ट्र के लिए हितकारी होते हैं। तेरापंथ सभा दिल्ली के अध्यक्ष सुखराज सेठिया ने कहा ज्ञानशाला संस्कारशाला है, निर्माणशाला है और एक सुन्दर प्रयोगशाला है, जिसके माध्यम से नये-नये रूप सम्मुख आ रहे हैं।
महामंत्री प्रमोद घेड़ावत ने कहा- ज्ञानशाला तेरापंथ धर्म की सुन्दर पाठशाला है, जिसके माध्यम से भावी पीढ़ी का निर्माण स्पष्ट दिखाई देता है। ज्ञानशाला अन्तर्राष्ट्रीय प्रभारी सरोज छाजेड़, सम्पत नाहटा, विनोद बाफना, अशोक सुराणा आदि ने अपने विचारों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की शुरुआत में मंथन जैन ने महाप्रज्ञ अष्टकम् द्वारा मंगलाचरण किया। महासती गुलाबांजी के जीवन से सम्बधित एक घटना पर बच्चों की सराहनीय प्रस्तुति हुई। महिला मण्डल ने गीतिका की प्रस्तुति दी। विहाना जैन एवं प्रणीत जैन ने भी अपनी प्रस्तुति दी।