पॉवर ऑफ पेरेन्टिंग वर्कशाप परिवार प्रशिक्षण कार्यशाला
तेरापंथ युवक परिषद् द्वारा आयोजित ‘पॉवर आफ पेरेंन्टिंग’ वर्कशाप को संबोधित करते हुए साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञा जी ने कहा- आज मैं उन अभिभावकों की चर्चा कर रही हूं जो संतान को जन्म तो देते हैं पर सही निष्पन्नता की ओर ध्यान नहीं देते। जरूरत है मदालसा और जीजाबाई की तरह अपनी संतान को सद्संस्कार भी दें। संतान का किस प्रकार सर्वांगीण विकास हो इस ओर प्रयास करें। संतान को यह सिखाएं- आज सारी सुख सुविधा है, आनन्द है, कभी कठिन परिस्थिति को भी झेलना पड़ सकता है। पर संतुलित जीवन जीने का दृढ़ संकल्प होना चाहिए।
श्रम की शिक्षा देते रहें। साध्वीश्री ने कहा- बच्चों का लालन-पालन करें, पर उन्हें श्रम की महत्ता भी बताएं। हैलिकाप्टर पेरेंटिंग न करें उन्हें कार्य करने के लिए खुला वितान दें। संस्कृत साहित्य में कहा गया है, 5 वर्ष तक लालन-पालन करें। 10 वर्ष तक अनुशासन करें, जब 16 वर्ष की संतान हो मित्र जैसा व्यवहार करें। उनकी निर्णयात्मक शक्ति का भी सम्मान करें। यदि उनका निर्णय या सलाह न जचें तो उसका परिष्कार करें, पर तत्काल करें, यह आवश्यक नहीं। संतान कोई गलती भी करे तो उसे फटकारने की बजाय शान्ति और मृदुता से पेश आएं।
साध्वीश्री डॉ. मंगल प्रज्ञा जी ने इस अवसर पर उपस्थित विशद परिषद को प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा- अपनी संतान अच्छा बनाना चाहते हैं तो उनकी गल्तियों का करेक्शन करें, उनके पास बैठकर बात करने का समय नियोजित करें। हर बच्चे में यूनिक टैलेंट होता है। उनके हौसलों को मजबूत करते रहें। अपनी संतान के लिए आप रॉल मॉडल बनें। अच्छी जिन्दगी जीने का रहस्य समझाना हर अभिभावक का परम कर्तव्य है अध्यात्म भी यही कहता है सबके साथ सद्व्यवहार करो। एक दूसरे को आगे बढ़ाने का प्रयास करो, अपनी जिम्मेदारी समझें। साध्वी वृंद ने सामूहिक संगान किया।