अर्हत् स्तुति से जागृत होती है आत्मशक्ति प्राणशक्ति और चैतन्यशक्ति

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अर्हत् स्तुति से जागृत होती है आत्मशक्ति प्राणशक्ति और चैतन्यशक्ति

मुनि जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में लोगस्स जप अनुष्ठान का भव्य कार्यक्रम प्रेक्षा विहार में साउथ हावड़ा भी जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा आयोजित किया गया। इस अवसर पर उपस्थित जन समुदाय को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा- जीवन को सौम्य निर्मल, सात्विक एवं सर्वांग बनाने की एक दिव्य साधना है- अर्हत् स्तुति। अर्हत् स्तुति से आत्मशक्ति, प्राणशक्ति, चैतन्यशक्ति जागृत होती है और इससे चित्त निर्मल, सुखानुभूति, अपूर्व निर्जरा होती है। अर्हत् स्तुति से जीव सम्यक्त्व की विशुद्धि को प्राप्त होता है। लोगस्स अर्हत् स्तुति का महामंत्र है। लोगस्स तीर्थकर स्तुति का महान मंत्र है। भक्ति साहित्य की एक अमर अलौकिक रहस्यमयी और विशिष्ट रचना है।
लोगस्स का पाठ लोकाग्र तक जाने की लिफ्ट है। इसमें भक्ति भाव से तीर्थकरों की स्तुति की गई है। लोगस्स पद है, स्तोत्र है। इसमें सात गाथा है। प्रत्येक गाथा के चार चरण हैं कुल अक्षर 256 हैं। तीर्थकर स्तुति रक्षा कवच है। लोगस्स एक अपराजित मंत्र है। इसकी साधना सर्वकाल एवं सर्वदृष्टि से मंगलकारी, कल्याणकारी शुभंकर एवं सर्वसिद्धि दायक है। प्रवचन से पूर्व मुनि जिनेश कुमार जी ने लोगस्स एवं उससे सम्बंधित मंत्रों का जप एवं अनुष्ठान करवाया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि कुणाल कुमार जी के मंगल संगान से हुआ। नीदरलैंड से समागत आव्या भूतोड़िया ने चौबीसी के पार्श्वस्तुति गीत का संगान किया। स्वागत साउथ हावडा सभा के अध्यक्ष लक्ष्मीपत बाफणा ने व आभार मंत्री बसंत पटावरी ने किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंदजी ने किया। इस अवसर पर बृहत्तर कोलकाता क्षेत्र के 1400 से अधिक श्रावक - श्राविकाएँ जप अनुष्ठान में शामिल हुए।