जैन ज्योतिष एवं वास्तुशास्त्र  कार्यशाला का आयोजन

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जैन ज्योतिष एवं वास्तुशास्त्र कार्यशाला का आयोजन

साध्वी डॉ. गवेषणाश्री आदि ठाणा-4 के सान्निध्य में जैन तेरापंथ नगर के तीर्थंकर समवसरण में जैन ज्योतिष एवं वास्तुशास्त्र की कार्यशाला का आयोजन हुआ। साध्वी श्री ने कहा- जैन ग्रंथ एवं अन्य ग्रंथों में भी सूर्य, चंद्र, पृथ्वी और नक्षत्र की स्थिति, दूरी और गति का वर्णन किया गया है। चंदप्रज्ञप्ति और सूर्यप्रज्ञप्ति आगम में भी सूर्य, चंद्र, ग्रह, नक्षत्र आदि का विवरण विस्तार से किया गया है। स्थिति, दूरी और गति के मान से ही पृथ्वी पर होने वाले दिन-रात और अन्य संधिकाल को विभाजित कर एक पूर्ण सटीक पंचांग बनाया गया है। साध्वी मयंकप्रभा जी ने मंच संचालन करते हुए कहा कि आकाश के तारामंडल के विभिन्न रूपों में दिखाई देने वाले आकार को नक्षत्र कहते हैं। वैदिक ज्योतिष में 27 नक्षत्रों का उल्लेख आता है किन्तु जैनधर्म में एक अभिजीत नक्षत्र को भी स्थान दिया गया है। प्रमुख वक्ता संतोष दूगड़ ने कहा- पूरा ब्रह्माण्ड जैसे पांच तत्वों से निर्मित है वैसे ही हमारे भीतर का ब्रह्माण्ड भी पांच तत्वों से निर्मित है। साध्वी मेरुप्रभा जी और साध्वी दक्षप्रभाजी ने सुमधुर गीतिका का संगान किया। माधावरम ट्रस्ट अध्यक्ष घीसुलाल बोहरा, रमेश पर‌मार, अनिलसेठिया, सुरेश रांका, तेयुप अध्यक्ष संदीप मुथा, निर्मल सेठिया, सीपी छल्लानी ने मुख्य वक्ता का मोमेंटों से सम्मान किया। मुख्य वक्ता का परिचय प्रवीण सुराणा एवं आभार ज्ञापन ट्रस्ट के मंत्री पुखराज चोरड़िया ने दिया।