परिवार में प्रिय बनने के लिए आत्मीयता जरुरी

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परिवार में प्रिय बनने के लिए आत्मीयता जरुरी

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, वह समाज में जीता है। समाज की एक छोटी एकाई है- परिवार। हमारी पारिवारिक जीवन शैली में विचार भेद, रुचिगत संस्कार भेद, रहन-सहन भेद आदि का उपक्रम नैसर्गिक है। ऐसी स्थिति में एक दूसरे के भाव एवं जीवन क्रम को समझना परिवार के लिए आदर्श बन सकता है। ये विचार मुनि मोहजीतकुमार जी ने विशेष प्रवचन माला में 'परिवार में प्रिय कैसे बनें' विषय पर प्रकट किए। मुनिश्री ने परिवार की परिभाषा करते हुए कहा कि परिवार में प्रिय बनना है तो सद् व्यवहार, अपनेपन का विकास, सहानुभूति, सकारात्म‌क दृष्टिकोण का विकास करना होगा। वाणी में प्रियता, सरसता, मुदुता का प्रयोग करने से परिवार में प्रिय बन सकते हैं। प्रिय बनने के लिए आत्मीयता और सब कार्यों में सहज सहभागिता जरूरी है। साथ-साथ जन्म नहीं ले सकते, साथ-साथ मर नहीं सकते, साथ-साथ जी तो सकते हैं। परिवार के प्रत्येक सदस्य में सहयोग, शिष्टाचार और प्रशंसा का मनोभाव विकसित हो। मुनि जयेश‌कुमार जी ने कहा- प्रियता का सबसे बड़ा आधार है आश्वास और एक दूसरे के प्रति विश्वास। इन दो तथ्यों से परिवार में प्रियता का विकास किया जा सकता है।