'स्पिरिचुअल फ्रीडम-लिबरेशन विदिन' कार्यशाला का आयोजन

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'स्पिरिचुअल फ्रीडम-लिबरेशन विदिन' कार्यशाला का आयोजन

साध्वी संयमलता जी ठाणा ४ के सान्निध्य में 'स्पिरिचुअल फ्रीडम-लिबरेशन विदिन' कार्यशाला का आयोजन किया गया। राष्ट्र और समाज में मूल्यों के पुनर्स्थापन की पुकार करने वाली स्वतंत्रता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए साध्वी संयमलता जी ने कहा- आज़ादी किसे अच्छी नहीं लगती? ग़ुलामी की जंजीरों से मुक्त होने का दिन 15 अगस्त, भारतवासियों के लिए इसी आज़ादी के अहसास का दिन है। आज़ादी के जश्न के बीच संकल्पित होने का दिन है। संकल्प करें कि मैं आंतरिक संग्रह से आज़ाद बनूं, वस्तुओं के प्रति आकर्षण, अधिकार और जुड़ाव से मुक्त रहूं। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर साध्वी श्री ने कहा, "स्वयं को PHD का विषय बनाएं, और दिन के 1440 मिनटों में केवल 48 मिनट स्वयं के लिए समर्पित करें, तो हम असली आज़ादी को पा सकते हैं। साध्वी मार्दवश्री जी ने कहा- आज का इंसान अर्थवाद, पदार्थवाद, और स्वार्थवाद की परतंत्रता में जकड़ा हुआ है। स्वतंत्रता प्राप्त हुए 77 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन स्वयं को स्वतंत्र बनाने के लिए हम अपनी इच्छाओं के दासत्व को जितना कम करेंगे, उतना ही साधुत्व का ग्राफ ऊंचा उठेगा। साध्वी मनीषाप्रभा जी ने बताया कि असली आज़ादी के लिए कर्मरूपी बंधनों की बेड़ियों को तोड़ना ज़रूरी है। निगोद से लेकर पंचेंद्रिय बनने तक, कितने-कर्मों को तोड़ना पड़ता है। ये कर्म सही रूप में टूटेंगे तभी हम स्वतंत्र बनेंगे। साध्वीवृंद ने गीतिका का संगान किया।