जयाचार्य निर्वाण दिवस संपन्न

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जयाचार्य निर्वाण दिवस संपन्न

पाली। मुनि सुमतिकुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में जयाचार्य निर्वाण दिवस का आयोजन किया गया। मुनि सुमतिकुमार जी ने जयाचार्य निर्वाण दिवस पर गीत का संगान कर उनके इतिहास की जानकारी प्रदान करते हुए कहा- मात्र 9 वर्ष की उम्र में ही जयाचार्य ने दीक्षा ली थी। दीक्षित होने के बाद शिक्षा के लिए जयाचार्य मुनि हेमराज जी को सौंपे गए। आचार्यश्री रायचंद जी ने विक्रम संवत 1894 को जयाचार्य को युवाचार्य पद पर नियुक्त किया। तेरापंथ धर्म संघ में सबसे पहले जयाचार्य ही दिल्ली पधारे। संघ को समृद्ध और सुसंगठित रखने के लिए उन्होंने नई व्यवस्थाओं का निर्माण भी किया। उन्होंने अपने शासनकाल में आचार्य भिक्षु की परंपरा को सजाया, संवर्धित किया और संगठन को सुदृढ़ आधार दिया। मुनि देवार्य कुमार जी ने कहा कि चतुर्थ आचार्य जीतमल जी जैन परंपरा में एक महान प्रतिभाशाली आचार्य हुए। उनका उपनाम जय रखा गया इसलिए वह जयाचार्य के नाम से ही अधिक विख्यात हैं। मुनिश्री ने बताया जयाचार्य की दीक्षा, चातुर्मास और निर्वाण स्थल जयपुर है।