संघ विकास में जयाचार्य का चिंतन था महत्वपूर्ण
साध्वी काव्यलताजी के सानिध्य में सिंघवी भवन, अमराईवाड़ी में जयाचार्य निर्वाण दिवस के कार्यक्रम का आयोजन साध्वी ज्योतियशा जी द्वारा मधुर स्वर लहरी से प्रारंभ हुआ। साध्वी सुरभिप्रभा जी एवं साध्वी राहतप्रभा जी ने 'थे लाल लाडला तेरापंथ रा कोहिनूर' गीत के द्वारा अपनी श्रद्धा अर्पित की। साध्वी काव्यलता जी ने अपने उद्बोधन में कहा- जयाचार्य को हम दूसरे भिक्षु के रूप में देख सकते हैं। हमारा संघ विकास के एक क्षितिज पर पहुंचा है, उसमें जयाचार्य का चिंतन प्रथम स्थान पर था। जयाचार्य उस प्रतिभा का नाम है जिसने शास्त्र सागर का पूर्ण जागरूकता एवं एकाग्रता से आह्वान किया। भगवती जैसे महान आगम का राजस्थानी भाषा में अनुवाद कर धर्म संघ की साहित्य संपदा को वृद्धिंगत किया। जयाचार्य एक विलक्षण शास्ता थे जिन्होंने अपने हाथों सुंदर व्यवस्था का सूत्रपात किया। कार्यक्रम में नीतू चोरड़िया ने 8 की तपस्या का प्रत्याखान किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी ज्योतियशा जी ने किया।