चातुर्मास का समय होता है  तप आराधना का

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चातुर्मास का समय होता है तप आराधना का

तेरापंथ भवन कांदिवली में साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञा जी के सान्निध्य में तप-अभिनंदन कार्यक्रम आयोजित किया गया। तप के क्रम में गोरेगांव प्रवासी मंजुला हिरण, नीलम कोठारी, ममना चिप्पड़, बोरीवली प्रवासी उषा सिंघवी, सुनीता हिंगड, मंजु बोथरा का कंठीतप संपन्न हुआ। कांता सिंघवी और हेमलता बडोला ने धर्म चक्र तप की आराधना की। कांदिवली प्रवासी कैलाश धोका ने भी कंठी तप की साधना की। सभी तपस्विनी बहनों की वर्धापना हेतु आयोजित तप अभिनन्दन कार्यक्रम में साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञाजी ने कहा - तपस्या का अच्छा क्रम चल रहा है। आज विशेष तप की आराधना सम्पन्न हो रही है। तपस्विनी बहनों ने अपने आत्मबल से अपना लक्ष्य पूरा किया है। तपस्या आत्मशांति और आनन्द का मार्ग तो है ही, स्वास्थ्य प्रदायक भी है। अनेक शरीर-मन और भावनात्मक रोगों को तप से दूर किया जा सकता है। चातुर्मास का समय तप की साधना के लिए उत्तम है। तप से आत्म पवित्रता बढ़ती है। तप की परम्परा निरन्तर चलती रहे। साध्वी वृन्द ने नौ रागों में अनुमोदन गीत की सामूहिक प्रसतुति दी। तेरापंथ सभा, महिला मडल, युवक परिषद, मलाड एवं कांदिवली द्वारा अभिनंदन पत्र एवं जैन पट्ट से तपस्विनी बहनों का सम्मान किया गया।