आचार्य भिक्षु के भाष्यकार और साम्यवाद के सूत्रधार थे जयाचार्य
मुनि जिनेशकुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में जयाचार्य का 144वां निर्वाण दिवस प्रेक्षा विहार में साउथ हावड़ा भी जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा मनाया गया। धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा- संयम और तप में पराक्रम करने वाला साधक साधना को उज्ज्वल बनाता है। जयाचार्य ने अपनी तपस्या व संयम के द्वारा जीवन को साधना के शिखर तक पहुंचाया। वे आचार्य भिक्षु के भाष्यकार व साम्यवाद के सूत्रधार थे। वे धर्म संघ के कल्पवृक्ष थे। वे साहित्यकार प्रवचनकार, कुशल प्रशासक थे। उन्होंने अपने जीवन काल मे साढ़े तीन लाख पद्यो की संरचना कर राजस्थानी साहित्य भंडार को समूद्ध किया। मुनि कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। इस अवसर पर महासभा के अध्यक्ष मनसुखलाल सेठिया ने चतुर्थ आचार्य जयाचार्य को भावांजलि अर्पित करते हुए कहा - जयाचार्य ने तत्कालीन अनेक स्थितियों का परिवर्तन किया। हमारा श्रद्धामय उपहार तभी होगा जब हम मर्यादाओं का पालन करेंगे। श्रावक निष्ठा पत्र हमारा मर्यादा पत्र है। महासभा के महामंत्री विनोद बैद, इचलकरंजी से समागत जवाहरलाल भंसाली ने अपने विचार व्यक्त किये। स्वागत भाषण साउथ हावड़ा सभा के अध्यक्ष लक्ष्मीपत बाफणा ने दिया। आभार ज्ञापन सभा मंत्री बसंत पटावरी ने किया । कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंद जी ने किया।