कर्म संस्कार से मुक्त होने का मार्ग : तपस्या
साध्वी संयमलताजी के सान्निध्य में तप अनुमोदना समारोह का आयोजन स्थानीय तेरापंथ भवन मण्डिया में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का मंगलाचरण चामराजनगर, महिला मंडल ने किया। साध्वीश्री ने कहा- भारत अनादि काल से योग भूमि के रूप में विख्यात रहा है। तपस्या शक्ति है, कर्म संस्कार से मुक्ति है। संगीता दक के 15, संतोष जैन के 10, लिखित चौपड़ा एवं राजेश्वरी कटारिया के 9 की तपस्या पर साध्वीश्री ने विचार व्यक्त करते हुए कहा- तपस्या दो प्रकार की शक्ति से होती है- एक गुरु की, एक आत्मा की। इन तपस्वियों ने दोनों प्रकार की शक्तियों कि साधना की है, आगे भी ऐसी ही शक्ति लगाते रहे। तपस्वियों के परिवारों ने समूह गीत का संगान किया। साध्वी मार्दवश्रीजी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा आहार एवं अनाहार में अनाहार की साधना शक्तिशाली होती है। अनेक उदाहरण हैं जहां तपस्या से आखों की खोई शक्ति पुनः लौट आयी। एक मात्र अनाहार से कैंसर जैसी बिमारी ठीक हो गई। तप से शरीर की शुद्धि एवं आत्मा की मुक्ति होती है। कार्यक्रम में चामराजनगर, श्रीरंगपट्टना, पाढंवपुरा, के. आर. नगर, दावनगेरे, मैसुरु, बैंगलोर से श्रावकों की अच्छी उपस्थिति रही।
तपस्वियों की अनुमोदना में आयोजित रात्रिकालीन धम्मजागरणा में बैंगलोर से आदित्य एवं यश सेठिया, व मण्डिया से रितु दक ने सभी को संगीत से मंत्रमुग्ध बना दिया।