31वें विकास महोत्सव के विविध कार्यक्रम
तेरापंथ भवन में बिहार-नेपाल-झारखंड स्तरीय विकास महोत्सव का कार्यक्रम साध्वी स्वर्णरेखाजी के सान्निध्य में मनाया गया। साध्वीश्री ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आचार्य श्री तुलसी भविष्य दृष्टा थे। उन्होंने भविष्य की कल्पना करते हुए अनेकों अवदान इस संघ को दिए हैं। यों तो पूरी आचार्य परंपरा ने विकास के क्रम में नए-नए आयामों को तेरापंथ धर्म से जोड़ा है लेकिन आचार्य श्री तुलसी ने जिन आयामों से तेरापंथ धर्मसंघ को एक नई राह दिखाई वे सचमुच में अकल्पनीय हैं। आचार्य श्री तुलसी के युग में साध्वियों की शिक्षा, अणुव्रत, समण संस्कृति के द्वारा देश एवं विदेशों में तेरापंथ धर्म को बढ़ाने का कार्य, प्रेक्षाध्यान, जीवन विज्ञान, आगमों का संपादन एवं नवीनीकरण आदि के द्वारा समाज में एक नई जागृति ला दी। साध्वी सुधांशुप्रभा जी ने अपने वक्तव्य में धर्म और कर्म को जानकर जीवन में विकास करने की प्रेरणा प्रदान की। कार्यक्रम के दूसरे चरण 'सामूहिक खमत खामणा' में नेपाल बिहार सभा, महासभा के पदाधिकारी एवं अन्य क्षेत्र से आए हुए सभी पदाधिकारियों एवं श्रावक-श्राविकाओं ने साध्वीश्री से सामूहिक रूप से खमत खामणा किया। तृतीय चरण में नेपाल, बिहार एवं झारखंड से आए हुए मेधावी छात्र एवं तपस्वियों का अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत साध्वीवृंद द्वारा तुलसी अष्टकम से की गई। स्थानीय सभा अध्यक्ष महेंद्र बैद ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। नेपाल-बिहार सभा के अध्यक्ष चैनरूप दुगड, महामंत्री वीरेंद्र संचेती, भिक्षु ट्रस्ट के अध्यक्ष राजकरण दफ्तरी, महासभा संवाहक नेमचंद बैद व अनूप बोथरा, बिहार आंचलिक प्रभारी राजेश पटवारी, प्रभारी मनोज पुगलिया व मनोज भंसाली आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। नौ-नौ की संख्या में स्थानीय सभा, तेरापंथ युवक परिषद, महिला मंडल, कन्या मंडल एवं ज्ञानशाला के बच्चों के द्वारा सुंदर प्रस्तुति दी गई।