31वें विकास महोत्सव के विविध कार्यक्रम

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31वें विकास महोत्सव के विविध कार्यक्रम

श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, गंगाशहर के तत्वावधान में शान्ति निकेतन सेवा केन्द्र गंगाशहर में साध्वी चरितार्थप्रभा जी एवं साध्वी प्रांजलप्रभा जी के सान्निध्य में 31वां विकास महोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर साध्वी चरितार्थप्रभा जी ने कहा कि आचार्य श्री तुलसी सन् 1936 में तेरापंथ धर्म संघ के आचार्य बने। सन् 1994 में अपने उत्तराधिकारी युवाचार्य महाप्रज्ञ को आचार्य पद का दायित्व सौंपकर एक ऐतिहासिक आदर्श उपस्थित किया। आचार्य तुलसी ने 60 वर्षों तक अनवरत प्रगति के शिखर पर आरुढ होकर, संगठन में विकास के नए-नए क्षितिज खोलकर, संगठन के सदस्यों का अखंड विश्वास प्राप्त कर, प्रभावी कर्तव्य की छाप छोड़कर सब दिशाओं में बढ़ते हुए वर्चस्व की स्थिति में नेतृत्व की क्षमता होने पर भी, अचानक सुनियोजित रूप से अपने पद का विसर्जन कर प्रेरणादायी इतिहास बना गये। आचार्य श्री तुलसी ने अपने शासनकाल में जितना कार्य किया संभवत: इस शताब्दी में जैन परंपरा में किसी आचार्य ने इतना प्रभावी कार्य एवं नेतृत्व किया है, यह शोध का विषय है। साध्वी प्रांजलप्रभा जी ने भी अपने विचार रखते हुए कहा कि आचार्य भिक्षु तेरापंथ के संस्थापक आचार्य थे। तेरापंथ की गौरवशाली आचार्य परंपरा में नवमें स्थान पर आचार्य तुलसी का नाम है जो मानवता के मसीहा बनकर जन-जन की आस्था के केंद्र बन गये। एक संप्रदाय की सीमा में रहकर भी संपूर्ण मानव जाति के लिए काम करने वाले वे जैन संत महान परिवार्जक थे। आचार्य तुलसी महान समाज सुधारक थे। आगम साहित्य का शोध और प्रकाशन गुरुदेव तुलसी की जैन साहित्य को अनुपम भेंट है। कार्यक्रम में साध्वी स्वस्थप्रभाजी ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में साध्वी मध्यस्थप्रभाजी ने तथा साध्वीवृंद ने सामूहिक रूप में एक गीतिका का संगान किया। मंगलाचरण पवन छाजेड ने किया। तेरापंथ युवक परिषद से रोहित बैद, तेरापंथी सभा गंगाशहर के मंत्री जतन लाल संचेती, अणुव्रत समिति से करणी दान रांका, महिला मण्डल से मीनाक्षी आंचलिया, आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठान से दीपक आंचलिया ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का कुशल संचालन प्रेम बोथरा ने किया।