सामूहिक क्षमापना कार्यक्रम का आयोजन
जैन महासभा, बीकानेर के तत्वावधान में सामूहिक क्षमापना कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत आचार्य पीयूष सागर सूरीश्वर जी ने नवकार के मंगल मंत्रोच्चार से की। उन्होंने क्षमा की महत्ता को गीतिका के माध्यम से प्रस्तुत किया। साध्वी प्रवन्जना श्री जी ने कहा कि क्षमा हृदय की करूणा और जीवन की साधना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि क्षमा का उच्चारण केवल शब्दों से नहीं, बल्कि हृदय की गहराईयों से किया जाना चाहिए। साध्वी गुरूयशा जी ने भारतीय संस्कृति के पर्वों का महत्व बताते हुए कहा कि संवत्सरी महापर्व पर्वों का राजा है, जिसमें लोग 84 लाख जीवों से क्षमा मांगते हैं।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि क्षमा देने में अहंकार नहीं होना चाहिए और क्षमा लेने में हीन भावना नहीं आनी चाहिए। साध्वी प्रांजल प्रभा जी ने बताया कि संसार में आध्यात्मिक और सांसारिक पर्व होते हैं। उन्होंने कहा कि बाहरी कचरे को झाडू से साफ किया जा सकता है, उसी तरह मन के कचरे को प्रतिक्रमण के माध्यम से साफ किया जा सकता है। मुनि सम्यकरत्नसूरी जी ने कहा कि गलती होना स्वाभाविक है और हमें क्षमायाचना करनी चाहिए। उन्होंने नम्रता, उदारता और क्षमाशीलता के महत्व पर प्रकाश डाला। मुनि पुष्पेन्द्र जी ने कहा कि जिन शासन में किसी भी जीव को कष्ट देना मना है और सभी में क्षमा की भावना होनी चाहिए। कार्यक्रम में विनोद बाफना ने स्वागत उद्बोधन दिया, जबकि विजय कोचर ने जैन महासभा का परिचय और कार्यक्रमों की जानकारी प्रस्तुत की। इस अवसर पर सभी संघों के पदाधिकारियों ने एक-दूसरे से क्षमायाचना की। आभार जैन महासभा के महामंत्री मेघराज बोथरा ने किया और कार्यक्रम का संचालन जतनलाल संचेती ने किया।