31वें विकास महोत्सव के विविध कार्यक्रम

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31वें विकास महोत्सव के विविध कार्यक्रम

साध्वी मंजूयशाजी ठाणा-4 के सान्निध्य में विकास महोत्सव बड़े उत्साह के साथ तेरापंथ सभा भवन नाथद्वारा में मनाया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ साध्वीश्री ने नमस्कार महामंत्र से किया। सामूहिक पार्श्वनाथ स्तुति का संगान किया गया। साध्वीश्री ने अपने दीक्षा प्रदाता गुरुदेव के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा - अध्यात्म के क्षेत्र में उभर कर आने वाला अग्रणी नाम था विकास पुरुष गुरुदेव श्री तुलसी का। उन्होंने स्वार्थ चेतना से हटकर सदा परमार्थ का जीवन जिया। उन्होंने राजनीतिक, सामाजिक स्थितियों के परिष्कार में अपनी अग्रणी भूमिका निभाई। गुरुदेव तुलसी एक विकास पुरुष थे, 11 वर्ष की अवस्था में दीक्षा और 16 वर्ष की उम्र में ही अध्यापक बन कई संतों को अध्यापन कराने लग गए। 22 वर्ष में आप तेरापंथ संघ के आचार्य बन गए। आचार्य बनते ही साध्वी समाज में विधिवत्त शिक्षा का विकास किया। नया मोड़ अभियान द्वारा नारी जाति का उत्थान किया, नैतिक क्रांति हेतु अणुव्रत आंदोलन का सूत्रपात किया। जैन धर्म को देश-विदेश पहुंचाने समणी वर्ग का सूत्रपात किया। इस अवसर पर साध्वी चिन्मयप्रभाजी ,साध्वी इंदुप्रभाजी, साध्वी मानसप्रभाजी ने गीत एवं भाषण के द्वारा उनके व्यक्तित्व और कर्तृत्व को उजागर किया। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष विश्वजीत कर्णावट, फतेहलाल बोहरा, सकल जैन समाज के अध्यक्ष विश्वचंद्र समोता, संगीता कोठारी, शांता बाफना, पूनम तलेसरा, लता धाकड़, उपासक गणेश मेहता आदि कई भाई-बहनों ने गीत, मुक्तक, भाषण आदि द्वारा अपनी-अपनी अभिव्यक्ति दी। साध्वी वृंद ने समूह गीत की प्रस्तुति दी।